J&K: न बन रहा डैम और न ही पुल, बरसात में बाढ़ को झेल रही इस इलाके की जनता
Saturday, Aug 10, 2024-04:02 PM (IST)
बिलावर : बेरल के स्थानीय लोगों का कहना था कि हर बार डैम का नाम लेकर पुल की बात को टाल दिया जाता है। हर बरसात में पुल के अभाव में बाढ़ बेरल गांव में तांडव मचाती है। बरसात के मौसम में अक्सर बिलावर और इसके आसपास के क्षेत्र में भारी बारिश होती है। जोरदार बारिश में भिन्नी दरिया में आई हुई बाढ़ का पानी दरिया के बीचों-बीच बसे टापू बेरल गांव में कहर भरपा गया है।
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गत दिवस हुई बारिश से दरिया का पानी लोगों के घरों में घुस गया। यहां एक बार फिर बरसात भिन्नी दरिया के बीच बसे टापू बेरल में बाढ़ के पानी ने तांडव मचाया, लेकिन पिछले 15 सालों से सरकारी उपेक्षा के चलते उज्ज डैम निर्माण का हवाला देते हुए सारी फंडिंग वापस कर दी गई। जिसके चलते बेरल पुल का निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ है और 15 वर्षों से भिन्नी दरिया में पुल सिर्फ चार पिल्लरों तक ही सीमित रह गया है। जहां लोक निर्माण विभाग के अधिकारी आज भी डी.पी.आर. बनाने की बात कह रहे हैं। आखिर बेरल के लोगों का क्या कसूर है, जिन्हें आजादी के 77 वर्ष बाद भी एक पुल तक नसीब नहीं हो पाया है। हर बरसात में लोगों के लिए दरिया में आई बाढ़ से बचने के दो ही उपाय हैं या तो अपने घरों को छोड़कर दरिया के पार आकर अपने सगे संबंधियों के घर में शरण ले लें या फिर अपने घरों में रहकर दरिया में आई बाढ़ के तांडव को होते हुए देखें, क्योंकि बरसात के समय भिन्नी दरिया में बाढ़ तांडव मचाती है।
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वहीं बेरल के ग्रामीण आज भी जिंदगी जोखिम में डालकर बरसात के मौसम में दरिया को पार करते हैं। ऐसे में तो कईयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है, लेकिन लोग पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। जहां तक कि करीब डेढ़ दशक पहले जे.के.पी.सी.सी. ने पुल का निर्माण कार्य शुरू तो किया, लेकिन पुल के निर्माण कार्य को मात्र इसलिए रोक दिया कि उज्ज डैम का निर्माण होना है। जिसके लिए चार पिल्लर बनाकर निर्माण को बीच अदर में छोड़ दिया गया। बरसात के मौसम में दरिया का वेग और ज्यादा बढ़ गया है। जहां तक कि निर्माणाधीन पुल का एक पिल्लर बाढ़ की चपेट में आकर बह गया है तथा दरिया करीब 20 मीटर और ज्यादा चौड़ा हो गया है।
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बेरल पुल का निर्माण कार्य 15 साल से मात्र पिल्लरों तक ही रहा सीमित
भिन्नी दरिया के बीचों-बीच बसे बेरल में हर वर्ष बरसात के दिनों में लोगों की जान मौत और जिंदगी से खेलती है। टापू होने के कारण दरिया दोनों तरफ से बाढ़ से लपालप होता है और लोगों की जमीन को चीरते हुए दरिया का पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है। जिससे लोगों की सैंकड़ों कनाल भूमि फसल के साथ ही बाढ़ के पानी में जलमग्न हो जाती है। जहां पुल के अभाव में न तो कोई बाहर आ सकता है और नहीं जा सकता है।