Diwali : जम्मू-कश्मीर का एक ऐसा शहर जहां दिवाली पर बिछ गई थी ला/शें

Wednesday, Oct 30, 2024-12:42 PM (IST)

राजौरी(अमित शर्मा): राजौरी में 73 साल पहले दीवाली पर हजारों लोगों की जान ली गई थी। महिलाओं की इज्जत लूटी गई थी। महिलाओं ने अपनी बेटियों के साथ जहर खा लिया, कुछ कुएं में कूद गईं। पूरा शहर आग में जल रहा था। शहर के 30 हजार से अधिक लोग मौत के मुंह में चले गए।

यह भी पढ़ें :  जम्मू-कश्मीर : MLA की रैली दौरान भड़की हिंसा, पुलिस ने बरसाई लाठियां

बता दें कि 1947 में स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी रंग लाई। पूरे देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था जो हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को रास नहीं आया। उसने कबाइलियों को भेजकर राज्य पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया। सेना ने कबाइलियों को घाटी से खदेड़ा तो वे राजौरी में घुस आए और 30 हजार से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

यह भी पढ़ें :  पुलिस ने काबू किया आतंकी सहयोगी, वाहन की तलाशी लेने पर उड़े होश

26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने राज्य का विलय भारत के साथ कर दिया। इसके ठीक एक दिन बाद 27 अक्टूबर 1947 को पाक ने कबाइलियों को जम्मू-कश्मीर में भेजकर कब्जा करने का प्रयास किया। कबाइलियों ने राजौरी में आते ही लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया। महिलाओं की अस्मत लूटी गई। 11 नवंबर 1947 को देश में दीपावली का पर्व मनाया जा रहा था उस समय राजौरी कबाइलियों की जुल्म में जल रहा था। पूरा राजौरी आग की लपटों में घिरा हुआ नजर आ रहा था। इस दौरान 30 हजार से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

यह भी पढ़ें :  National Highway पर घटा दर्दनाक हादसा, 2 ने तोड़ा दम, चीखों से गूंज उठा आसमान

बड़ी संख्या में महिलाओं ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। कई महिलाओं ने अपनी बेटियों के साथ जहर खा लिया तो कुछ ने कुएं में छलांग लगा दी। उस स्थान पर अब बलिदान भवन बना दिया गया जिसका पहला निर्माण नवंबर 1969 को हुआ। विशेष दिनों में पाठ पूजा के साथ शहीदों को याद किया जाता है। अब इन बलिदानियों की याद में बलिदान भवन के साथ ही बलिदान स्तंभ का भी निर्माण करवाया गया है ताकि हर कोई बलिदानियों को नमन कर सके।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here


Content Writer

Sunita sarangal

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News