बड़ा खुलासा :  चीनी तकनीक से लैस हुआ पाकिस्तान, PoK में नेटवर्क.... भारत पर रख रहा नजर

Thursday, Jul 31, 2025-04:40 PM (IST)

जम्मू (उदय) : जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक की शुरूआत में शुरू हुए शस्त्र आतंकवाद में विभिन्न आतंकी संगठनों ने हमले के कई तौर तरीके, हथियारों, विस्फोटकों, सूचना तंत्र को बदला ताकि कश्मीर में आतकंवाद को जिंदा रखा जा सके परन्तु भारतीय सेना एवं सुरक्षाबलों के जवानों ने आतंकी संगठनों एवं उनके आकाओं की रणनीति का हर बार ध्वस्त किया है।

पहलगाम में 22 अप्रैल को 25 पर्यटकों की नृशंसा हत्या में शामिल आतंकवादियों ने जिस चीन निर्मित सेटेलाइट फोन का सीमा पार बैठे आतंकी आकाओं से संदेश लिया था, उसे भी भारतीय सेना एवं सुरक्षाबलों ने भेदने में कामयाबी हासिल की है और आखिरकार हमलावारों को सेना के जवानों ने ढेर कर दिया। जिस हुवाई अल्ट्रासेट सेटेलाइट फोन का हमले के लिए इस्तेमाल किया गया अब उसकी जांच की जाएगी।

कश्मीर में 1989 में आतंकवाद शुरू होने के समय आतंकवादी वायरलेस सिस्टम का इस्तेमाल करते रहे हैं ताकि अपने आकाओं से संपर्क किया जा सके। जब सुरक्षाबलों ने आतंकी उनमूलन अभियान शुरू किया तो उन्होंने इनके संदेश इंटरसेपट कर आतंकियों का सफाया शुरू कर दिया। तकनीक बढ़ने पर सेटेलाइट फोन आतंकियों तक पहुंचे जिसमें थुर्रार्या सेटेलाइट फोन मिलना शुरू हुए जो उच्च तकनीक के थे। परन्तु सुरक्षाबलों ने इनका भी तोड़ निकाल लिया और कई आतंकी कमांडरों को ढेर करने में सफलता हासिल की लेकिन अब आतंकी कमांडर जिस सुरक्षिति सूचना तंत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें नेटवर्क की जरूरत नहीं पड़ती और दो लोग ही आपस में बातचीत कर सकते हैं। इसका पता लगाने में भी मुश्किल होती है परन्तु भारतीय तंत्र ने इसे भी भेदने में सफलता हासिल की है।

जम्मू कश्मीर में मोबाइल नेटवर्क सेवा 2003 में शुरू होने पर आतंकियों ने उसका भी इस्तेमाल किया, क्योंकि बार्डर के साथ लगते इलाकों में पाकिस्तान के टॉवर मोबाइल पर आते थे। सीडीएमए फोन को भी बीच में आतंकी सूचना का अदान-प्रदान और आकाओं से रणनीति बारे दिशा-निर्देश लेते रहे। सोशल मीडिया के माध्यम से भी विदेशों के वीपीएन का इस्तेमाल किया गया। ताजा हालात में यह भी खुलासा हुआ कि आतंकी सोशल मीडिया में वीडियो गेम में चैट, कैलकुलेटर एप समेत कुछ अन्य एप्प का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें अधिकांश चीनी एप्प हैं जो प्रतिबंध के बावजूद चल रही हैं।

बताया जा रहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर में चीन ने नेटवर्क को स्थापित किया है जो पाक सेना के इस्तेमाल में लाया जाता है और पहलगाम में बायसरन में आतंकी हमले के समय इस्तेमाल हुवाई का अल्ट्रासेट सेटेलाइट फोन भी चीन निर्मित हैं जिससे मारे गए आतंकियों ने पाक में बैठे आकाओं से संपर्क साधा और सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए। बायसरन में इस सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया जिसको लेकर सुरक्षाबला लगातार इसे ट्रैक कर रहे थे। और फिर मई महीने के बाद 11 जुलाई को श्रीनगर के हारवन में जब दोबारा सेटेलाइट फोन आन हुआ तो सेना एवं सुरक्षाबलों के जवानों ने कोई चूक नहीं की और दोनों आतंकियों को दो दिन पहले ढेर कर दिया।

सूत्रों के अनुसार चीन ने पी.ओ.जे.के. में भारत के साथ लगते स्थानों में जो टावर लगाए हैं उन्हें अपने रडार सिस्टिम से जोड़ा है जिसमें जेवाई और एचजीआर सीरीज है जो सही हालात बारे पाक सेना और आतंकियों को मुहैया करवाती है।

सूचना तंत्र के इस्तेमाल से बचते रहे हैं आतंकी

हालांकि सीमा पार बैठे आतंकी सरगनाओं से संदेश लेने के लिए आतंकी बड़ी चतुराई से सूचना तंत्र का इस्तेमाल करते आए हैं जिसमें विदेशी वीपीएन, व्हटसएपप कॉल या दूसरी तकनीक का इस्तेामल करते रहे हैं। जिसने भी उच्च क्षमता के सेटेलाइट फोन या उपकरण का इस्तेमाल किया, उसे सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। गौरतलब है कि अपनी मूवमेंट को सुरक्षाबलों से बचाने के लिए आतंकियों ने कश्मीर में कई स्थानों पर मोबाइल टावरों के उपकरणों से छेड़छाड़ की थी। हाल ही में आतंकियों ने डोडा, बसंतगढ़, उधमपुर, कठुआ, हीरानगर में स्थानीय लोगों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था ताकि अपने गाईड से संपर्क किया जा सके। यही वजह है कि पहलगाम आतंकी हमले के हमलावर सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल करते हुए सतर्क सेना एवं सुरक्षाबलों के जवानों ने उनकी लोकेशन ट्रेस कर ली और मौत के घाट उतार दिया।

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Content Editor

Neetu Bala

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