J&K: शहर में जगह-जगह लगे कचरे के ढेर, लोगों की बढ़ी चिंता
Sunday, Dec 14, 2025-07:03 PM (IST)
राजौरी (अमित शर्मा): जम्मू-कश्मीर के राजौरी शहर इन दिनों एक गंभीर नागरिक समस्या से जूझ रहा है। शहर में कचरा डंपिंग और निपटान के लिए उपयुक्त स्थल की कमी के कारण विभिन्न स्थानों पर खुले में कचरा फेंका जा रहा है। इनमें सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) अस्पताल, राजौरी के समीप बना अस्थायी डंपिंग स्थल सबसे अधिक चिंता का विषय बना हुआ है।
डंपिंग साइट के अभाव में नगर प्रशासन के पास सीमित विकल्प रह गए हैं, जिसके चलते कचरे को खुले इलाकों में डाला जा रहा है। GMC अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थान के समीप कचरे के ढेर लगना न केवल मरीजों, बल्कि अस्पताल स्टाफ और स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार कचरा डाले जाने से इलाके में दुर्गंध फैल रही है, आवारा पशुओं की संख्या बढ़ गई है तथा मच्छरों और मक्खियों का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज, विशेषकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगी, इन अस्वच्छ परिस्थितियों से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

लोगों ने प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार शिकायतें और मांगें किए जाने के बावजूद अब तक कोई स्थायी कचरा निपटान स्थल चिन्हित नहीं किया गया है। वैज्ञानिक तरीके से कचरा प्रबंधन न होने के कारण समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है, खासकर बरसात के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि खुले में कचरा डंप किए जाने से मिट्टी और भूजल प्रदूषित हो सकता है, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव जनस्वास्थ्य पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने कचरे के पृथक्करण, नियमित उठान तथा आवासीय क्षेत्रों से दूर एक वैज्ञानिक डंपिंग स्थल स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
इस संबंध में नगर प्रशासन के अधिकारियों ने समस्या को स्वीकार करते हुए बताया कि उपयुक्त डंपिंग स्थल की तलाश की जा रही है, हालांकि अब तक कोई ठोस समय-सीमा तय नहीं की गई है। इससे स्थानीय लोगों में प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर असंतोष बना हुआ है।
राजौरी में कचरा संकट तेजी से बढ़ते शहरीकरण और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे की गंभीर तस्वीर पेश करता है। नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की मांग की है, ताकि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके।
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