Omar Abdullah: उतार-चड़ाव भरा रहा उमर का सियायी सफर, अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी

Wednesday, Oct 16, 2024-06:48 PM (IST)

श्रीनगर:  इस साल जून में हुए लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद मुख्यमंत्री ऊमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की है। महज 4 महीने बाद ही उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। ऊमर अब्दुल्ला का यह सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (54) ने बुधवार को अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह अपने दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला के बाद सत्ता में प्रभावशाली अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं। उमर 2009-14 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।

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हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में उसने निर्णायक जीत हासिल करते हुए 90 में से 42 सीटें जीतीं। इसके चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं। 5 निर्दलीय और आम आदमी पार्टी (आप) के एकमात्र विधायक ने भी एनसी-कांग्रेस गठबंधन को अपना समर्थन दिया है। उमर अब्दुल्ला को लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा, जब वह बारामूला सीट से इंजीनियर रशीद के नाम से मशहूर स्वतंत्र उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख से दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से हार गए।

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उमर, जिन्होंने स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई छोड़ दी थी, 1998 में चुनावी मैदान में उतरे और 28 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए और संसद के निचले सदन के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। वह 1999 में फिर से चुने गए और 2000 में उद्योग और वाणिज्य राज्य मंत्री और विदेश राज्य मंत्री बने, लेकिन गोधरा कांड के बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। अपने पिता द्वारा सौंपे जाने के बाद, उमर 2002 में गांदरबल के पारिवारिक गढ़ के उम्मीदवार काजी मुहम्मद अफजल से विधानसभा चुनाव हार गए। वर्ष 2004 में वह फिर से लोकसभा के लिए चुने गए। 2008 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने गांदरबल सीट जीती और नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वह 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने और देश के सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में से एक थे और उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया।

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Content Editor

Neetu Bala

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