J&K: क्या खत्म हो जाएगा कश्मीरी पंडितों का अस्तित्व ?... हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने

Saturday, Mar 01, 2025-04:37 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर :   कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कश्‍मीर घाटी में गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों की जनसंख्या लगातार कम हो रही है। एक सर्वे के अनुसार, साल 2021 में कश्‍मीर घाटी में कश्‍मीरी पंडितों के परिवारों की संख्या 808 थी जो 2024 तक केवल 728 परिवार ही कश्‍मीर घाटी में बचे हैं। केंद्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर के लिए कई योजनाएं बनाई हैं जिनका कुछ असर भी नजर आ रहा है। कश्मीरी पंडितों के पलायन के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ मुख्य मुद्दे निम्नलिखित हैं:

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सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां: कश्मीरी पंडितों की समुदाय में गिरावट का एक प्रमुख कारण आर्थिक कठिनाइयां और रोजगार के अवसरों की कमी है। इस कारण कई परिवार अपने प्रियजनों और समुदाय को छोड़कर अन्य स्थानों पर बसने को मजबूर हो रहे हैं।

सुरक्षा चिंताएं: घाटी में हाल के सालों में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनका मुख्य निशाना अल्पसंख्यक समुदाय और गैर-स्थानीय लोग रहे हैं। इस स्थिति ने कश्मीरी पंडित परिवारों में असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है, जिससे उनका पलायन बढ़ा है।

नौकरशाही की बाधाएं: कश्मीरी पंडितों को सरकारी लाभ प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एसआरओ 425 के तहत रोजगार और पुनर्वास लाभ के लिए उनके प्रयास अक्सर नौकरशाही के कारण बाधित हो जाते हैं।

युवाओं की स्थिति: अविवाहित कश्मीरी पंडित युवाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। यदि समुदाय में युवाओं के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनी, तो उनका भविष्य और भी अधर में लटक सकता है।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव: भले ही केंद्र सरकार ने कश्मीर के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन में कमी और ठोस कदमों की कमी के कारण समुदाय को सही लाभ नहीं मिल पा रहा है।  

इस प्रकार, कश्मीरी पंडितों के अस्तित्व को बचाने के लिए न केवल सरकारी योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि एक स्थायी और सशक्त योजना की भी आवश्यकता है, जो उनकी सुरक्षा, रोजगार और सामाजिक स्थिति को मजबूत कर सके।

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Content Editor

Neetu Bala

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