इन सुरंगों को बनाने में लग गए थे कई साल, यूं ही नहीं पूरा हुआ रेलवे का Kashmir तक के सफर का सपना

Tuesday, Apr 15, 2025-06:26 PM (IST)

जम्मू डेस्क : माता वैष्णो देवी कटरा से कश्मीर तक 19 अप्रैल से वंदे भारत ट्रेनें शुरू होने जा रही हैं। इस दौरान ये ट्रेनें कई सुरंगों से होकर निकलेंगी। बता दें कि भारतीय रेलवे का सपना उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के रूप में साकार हो चुका है। इस 272 किलोमीटर लंबे रेल रूट में 119 किलमोटीर की 36 सुरंगें बनाई गई हैं। ऐसे में आधा सफर सुरंगों में से होकर गुजरेगा। इन सुरंगों में कोई सबसे लंबी है तो कोई चौड़ी। इसके अलावा हर सुरंग को बनाने में रेलवे विभाग के इंजीनियरों को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा है।

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इन सुरंगों में से भारत की सबसे लंबी सुरंग टी–50 (यू.एस.बी.आर.एल. सुरंग 50) जिसे सुम्बड-खड़ी सैक्शन टनल भी कहा जाता है। इसकी लंबाई 12.775 किलोमीटर है। यह टनल कश्मीर घाटी को देश से जोड़ने वाली जीवन रेखा है। खतरनाक व कठिन भौगोलिक परिस्थितयों में 3 अलग-अलग बिंदुओं से खुदाई कर इसे समय पहले पूरा किया गया है लेकिन ऐसी भी कुछ सुरंगें हैं जिन्हें समय पर तो क्या पूरा करने में कई साल लग गए।

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जी हां, टी-1 और टी-25 सुरंगों में मिट्टी धंसने और भूमिगत जलधाराओं के कारण निर्माण कार्य वर्षों तक रूका रहा लेकिन आधुनिक तकनीकों और इंजीनियरिंग कौशल से इन्हें सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इन सुरंगों को बनाने में एक नहीं, 2 नहीं पूरे 6 साल लग गए।

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दरअसल, इन सुरंगों को बनाने के समय जब भी खुदाई होती तो पानी का सैलाब आ जाता या कीचड़ भरा होता या फिर मिट्टी धंस जाती जिसके चलते काम रूक जाता। टी-25 सुरंग की बात करें तो इस सुरंग की खुदाई दौरान एक सेकेंड में कुल 2000 लीटर तक का पानी आ रहा था। दरअसल, इस सुरंग की खुदाई दौरान भूमिगत जलधारा मिली जिसके चलते बहुत सी दिक्कतें आईं। 6 सालों तक इस सुरंग में पानी बहता रहा जिसके चलते इसे पूरा करने में इंजीनियरों को इतना समय लग गया।

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वहीं टी-1 सुरंग जहां बनी है वह एरिया बाउंड्री थ्रस्ट क्षेत्र है। यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां 2 भूवैज्ञानिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं और एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं। इसी के चलते सुरंग बनाने के दौरान यहां बार-बार पानी और कीचड़ की समस्या आ रही थी। टी-33 सुरंग की तरह ही इस सुरंग को भी आई सिस्टम तकनीक से पूरा किया गया। वहीं इस सुरंग को बनाने में गहरे ड्रेनेज पाइपों, छाते जैसी पाइप रूफिंग और कैमिकल ग्राउटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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