नए कानूनों के लागू होने पर बोले DGP स्वैन, बताया क्या है Importance

7/1/2024 5:20:44 PM

श्रीनगर(मीर आफताब): पुलिस महानिदेशक आर.आर. स्वैन ने सोमवार को कहा कि भारतीय न्याय संहिता जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए स्पष्ट कानूनी अधिकार प्रदान करती है।

श्रीनगर में तीन आपराधिक कानूनों के लागू होने के अवसर पर संबोधित करते हुए डी.जी.पी. स्वैन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारतीय न्याय संहिता आतंकवाद की एक जरूरी परिभाषा प्रदान करती है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद से निपटने के लिए स्पष्ट रूप से कानूनी अधिकार प्रदान करती है। न्याय संहिता में संगठित अपराध से निपटने के लिए एक समर्पित अनुभाग भी है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाले सिंडिकेट द्वारा संचालित गैरकानूनी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं सुनिश्चित करता। उन्होंने कहा कि वह इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि इन सुधारों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब उनकी है। इससे जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भारी जिम्मेदारी आ गई है, जो पिछले 35 वर्षों से आतंकवाद से लड़ रही है और उनकी मूल जांच नींव कमजोर हो रही है।

प्रभावशाली कानून लागू करने के लिए स्थिर वातावरण के महत्व पर उन्होंने कहा कि कानून के शासन के माध्यम से सार्वजनिक शांति, सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि शांति और व्यवस्था का एहसास हो, ताकि जांच करने वाला, गवाह, प्रासीक्यूटर और ट्रायल कोर्ट बिना किसी डर के अपना कर्तव्य निभा सकें। जम्मू-कश्मीर पुलिस को सहायता देने के लिए नए कानूनों की क्षमता पर बोलते हुए पुलिस प्रमुख ने कहा कि यहीं पर नए कानून एक बूस्टर और महान समर्थक बन गए हैं। उनके जांच अधिकारियों के बढ़िया ट्रेनिंग में भारी निवेश करने के अलावा उन्होंने अच्छी जांच को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है और हेल्दी कम्पीटिशन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कानून प्रवर्तन मापदंडों पर जिलों की रैंकिंग शुरू कर दी है।

डी.जी.पी. स्वैन ने अतिरिक्त संसाधनों और सहायता की आवश्यकता बताते हुए कहा कि नए कानून उनके मौजूदा संसाधनों से अधिक की मांग करते हैं, जिसके लिए उनके कार्यक्षेत्रों को मुख्य रूप से उनके मुख्य जांच ढांचे में जांच अधिकारियों को शामिल करके मजबूत बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने गृह विभाग से विभिन्न स्तरों पर 321 जांच अधिकारियों का साथ देकर उन्हें मजबूत करने का अनुरोध किया है। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस के कुछ क्षेत्रों में कानूनी अधिकार बढ़ाए गए हैं, साथ ही विशेष रूप से सी.सी.टी.वी. के उपयोग में अधिक जिम्मेदारी भी दी गई है। अब पुलिस थानों और जिला स्तर पर गिरफ्तारी के आधार के साथ गिरफ्तार व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। इन रिकॉर्डों को डिजिटल रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए, जिससे कानून प्रवर्तन कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूती मिलेगी। नई व्यवस्था के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश, डाटा की सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोकने जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सीनियर पुलिस अधिकारी आश्वस्त हैं कि फोरेंसिक जैसे पुलिसकर्मियों की बढ़िया ट्रेनिंग जरूरी है। हमें अपने पुलिस स्टेशन की व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है, जो डिजिटल सबूतों और उपकरणों को संभालने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ होंगे। डी.जी.पी. स्वैन ने नए कानूनों को लागू करने में मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने पर उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में उन्हें दिए गए निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए वह सभी के ऋणी हैं। ये नए कानून न्याय के प्रति उनके दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक हैं।

 


Content Writer

Sunita sarangal

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