Mining को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जारी किया यह आदेश
Saturday, Aug 23, 2025-05:30 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने रेत खनन को लेकर सख्त फैसला सुनाया है। अब देश में कहीं भी रेत खनन की अनुमति तभी मिलेगी, जब जिला सर्वे रिपोर्ट (DSR) में यह स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि नदी में दोबारा रेत भरने की कितनी क्षमता है। कोर्ट ने कहा कि बिना इस वैज्ञानिक अध्ययन के तैयार हुई DSR मान्य नहीं मानी जाएगी, और उसके आधार पर मिली खनन की मंजूरी भी अमान्य होगी।
यह फैसला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान आया। जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि जैसे जंगल में पेड़ काटने से पहले यह देखा जाता है कि नए पेड़ उगने में कितना समय लगेगा, वैसे ही रेत खनन से पहले भी नदी की भरपाई क्षमता का पता लगाना जरूरी है।
कोर्ट ने बताया कि रेत खनन से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता बुरी तरह प्रभावित होती है। निर्माण के लिए रेत की मांग तेजी से बढ़ रही है, और अनुमान है कि 2050 तक निर्माण योग्य रेत की कमी हो सकती है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और NHAI ने NGT के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें बिना भरपाई क्षमता के अध्ययन वाली DSR पर मिली मंजूरी को गलत ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी NGT के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पर्यावरण सुरक्षा के नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती। अब देशभर में रेत खनन की अनुमति तभी दी जाएगी, जब DSR में नदी की भरपाई क्षमता का वैज्ञानिक आकलन शामिल होगा।
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