किश्तवाड़ आपदा: भारतीय सेना ने संभाला मोर्चा, राहत व बचाव अभियान जारी
Friday, Aug 15, 2025-07:09 PM (IST)

किश्तवाड़ ( बिलाल बानी ) : किश्तवाड़ के चिसोती गांव में हाल ही में बादल फटने की त्रासदी के बाद उत्पन्न हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और खराब मौसम के बावजूद जवान पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सहायता कर रहे हैं। सेना के विशेष दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश, घायलों को प्राथमिक उपचार तथा सुरक्षित स्थानों पर निकासी कार्य में दिन-रात सक्रिय हैं।
कल लगभग 12:45 बजे, किश्तवाड़ के चिसोती गाँव में एक भीषण बादल फटने से भूस्खलन हुआ। दुल में तैनात डेल्टा फ़ोर्स की 17 राष्ट्रीय राइफल्स सहित भारतीय सेना के जवानों ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी। राहत टुकड़ियां तुरंत तैनात की गईं और बिना किसी देरी के घटनास्थल पर पहुंच गईं।
नागरिक प्रशासन, पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर राहत अभियान चलाया जा रहा है। मुख्य ध्यान लोगों की जान बचाने, जीवित बचे लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करने और लापता लोगों का पता लगाने पर हैं। राहत सामग्री, चिकित्सा दल और विशेष बचाव उपकरण घटनास्थल पर पहुंचा दिए गए हैं।
वर्तमान में, 17 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर के नेतृत्व में पांच राहत टुकड़ियां चिसोती में तैनात हैं। 17 आरआर के रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर जमीनी चिकित्सा सहायता की देखरेख कर रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की उपलब्धता बनाए रखने के लिए, ज़्यादातर घायलों को किश्तवाड़ और जम्मू पहुंचाया गया है। भद्रवाह सैन्य अस्पताल से एक अतिरिक्त चिकित्सा दल चिकित्सा राहत प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए रास्ते में है।
भारतीय सेना की लगभग 300 कर्मियों और चिकित्सा टुकड़ियों वाली पांच से ज़्यादा टुकड़ियां बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। कई फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जहां उन्हें भोजन, पानी और आवश्यक आपूर्ति प्रदान की जा रही है। कुल मिलाकर, कल से स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन चुनौतीपूर्ण इलाकों में खोज और बचाव कार्य जारी है।
हताहतों का विवरण (नवीनतम अपडेट के अनुसार):
• मृतक: 48 (36 की पहचान हो चुकी है)
• NOK को सौंपे गए शव: 34
• लापता: 73
• घायल: 300
भारतीय सेना की डेल्टा फोर्स ने कर्मियों और उपकरणों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए नाले पर एक पैदल पुल बनाने और स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। निकासी और पहुंच में सहायता के लिए मिट्टी हटाने वाली मशीनें भी आगे लाई जा रही हैं।
भारतीय सेना अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है कि अंतिम व्यक्ति को सुरक्षित निकालने के बाद ही सैनिक अपने बैरकों में लौटेंगे।
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