कई लोगों के लिए काल बन कर आया यह साल, भयानक सड़क हादसों के चौंका देने वाले आंकड़े आए सामने
Wednesday, Nov 13, 2024-10:43 AM (IST)
जम्मू: सड़क यातायात को लेकर जागरूकता अभियान चलाने व सख्ती बरतने के बावजूद संभाग के जम्मू जिले में इस वर्ष सड़क हादसों में भारी वृद्धि देखने को मिली है, जिससे सुरक्षा एजैंसियों एवं स्थानीय निवासियों में चिंता बढ़ गई है।
जनवरी से सितम्बर 2024 के बीच जम्मू क्षेत्र में 807 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 96 लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। यह आंकड़े बताते हैं कि जम्मू क्षेत्र सड़क हादसों के लिहाज से सबसे अधिक प्रभावित है और यहां के प्रमुख शहरों व ग्रामीण इलाकों में सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष के पहले 9 महीनों में सड़क हादसों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। इन दुर्घटनाओं में कुल 4457 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 621 लोगों की मौत हो गई और 6122 लोग घायल हुए। मई 2024 में सबसे अधिक हादसे और मौतें दर्ज की गईं, जब 597 दुर्घटनाओं में 98 लोगों की जान चली गई और 1090 लोग घायल हुए।
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सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
यातायात नियमों की अनदेखी और अनुशासनहीनता सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि का मुख्य कारण हैं। ट्रैफिक पुलिस और समाजसेवियों के अनुसार लापरवाह ड्राइविंग, तेज रफ्तार, संकेतों को नजरअंदाज करना, थकान और शराब का सेवन जैसे कारण हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही पैदल यात्रियों की लापरवाही और सड़क सुरक्षा के प्रति उनकी कम समझ भी दुर्घटनाओं में योगदान दे रही है।
‘राष्ट्रीय राज मार्गों पर स्पीड चैकिंग उपकरण लगाए जाएं’
पूर्व एस.एस.पी. अभय कुमार महाजन ने 41 वर्ष से अधिक समय तक पुलिस विभाग में सेवा दी। उन्होंने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कुछ ठोस सुझाव दिए हैं। उनका मानना है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर तेज रफ्तार वाहनों की नियमित निगरानी के लिए प्रतिदिन स्पीड चैकिंग उपकरण लगाए जाने चाहिएं। इसके अलावा चिनाब घाटी और पीर पंजाल जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में सड़कों की पुनर्रचना की आवश्यकता है। महाजन ने यह भी सुझाव दिया कि जो चालक बार-बार नियमों का उल्लंघन करते हैं उनके लाइसैंस रद्द किए जाएं।
जागरूकता और सावधानी से चलाएं वाहन
ट्रैफिक पुलिस ने नागरिकों से अपील की कि वे निर्धारित गति सीमा का पालन करें और सड़क सुरक्षा के सभी उपायों को अपनाएं। हैल्मेट, सीट बैल्ट एवं अन्य सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि गति रोमांचक हो सकती है, परंतु जानलेवा भी हो सकती है।
राष्ट्रीय रिपोर्ट की झलक
रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में पूरे देश में 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान गई और 4,43,366 लोग घायल हुए। पिछले वर्ष की तुलना में दुर्घटनाओं में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें 9.4 प्रतिशत अधिक मौतें और 15.3 प्रतिशत अधिक चोटें शामिल हैं। यह रिपोर्ट सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता और कानून के सख्त पालन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
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जागरूकता और सख्त नियमों की जरूरत
एस.एस.पी. ट्रैफिक ग्रामीण जम्मू विनय कुमार खुल्लर ने बताया कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों में उन सभी ब्लैक स्पॉट्स का निरीक्षण किया है, जहां लगातार दुर्घटनाएं हुई हैं। इन स्थानों पर विशेष रूप से जहां सड़क पार करने की समस्या अधिक है, उन्होंने अपने ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तैनाती की है।
उन्होंने बताया कि हर महीने 70 से 80 स्कूलों, उच्च माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों में जाकर छात्रों को ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए जागरूक किया जाता है। इसके अलावा प्रतिदिन कमर्शियल ड्राइवरों और कंडक्टरों को नशे में वाहन न चलाने सहित गति सीमा जैसे नियमों के बारे में जानकारी दी जाती है। ट्रैफिक कर्मी सार्वजनिक परिवहन जैसे बसों और मैटाडोर में जाकर लोगों को यह बताने की कोशिश करते हैं कि यदि कोई चालक तेज गति में गाड़ी चला रहा हो तो हैल्पलाइन नंबर 112 पर इसकी सूचना दी जा सकती है।
इस साल उन्होंने ओवरलोडिंग के खिलाफ 40 से 50 एफ.आई.आर. दर्ज की हैं और 250 वाहन जब्त किए हैं। उन्होंने आर.टी.ओ. को भी पत्र लिखा है कि बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों के लाइसैंस और परमिट रद्द किए जाएं तथा उन्होंने इस पर कार्रवाई भी की है। एस.एस.पी. ने जम्मू के लोगों, विशेषकर युवाओं से अपील की कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें, ताकि सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सके।
जनवरी से लेकर सितम्बर 2024 तक हुए हादसे
साम्बा : 185 सड़क हादसे, 22 मौतें।
कठुआ : 332 सड़क हादसे, 30 मौतें।
उधमपुर : 307 सड़क हादसे, 57 मौतें।
रियासी : 220 सड़क हादसे, 39 मौतें।
डोडा : 184 सड़क हादसे, 19 मौतें।
किश्तवाड़ : 87 सड़क हादसे, 29 मौतें।
रामबन : 213 सड़क हादसे, 39 मौतें।
पुंछ : 139 सड़क हादसे, 22 मौतें।
राजौरी : 258 सड़क हादसे, 27 मौतें।
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