Jammu Kashmir : युवाओं को ऐसे जाल में फंसा रहे ISI और आतंकी समूह

Monday, Oct 21, 2024-11:23 AM (IST)

श्रीनगर: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकी समूह डिजिटल मंचों के जरिए जम्मू-कश्मीर में भर्ती के प्रयास तेज कर रहे हैं क्योंकि कड़े सुरक्षा प्रबंधों के चलते प्रत्यक्ष संवाद करना मुश्किल होता जा रहा है।

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एक अधिकारी के अनुसार ये समूह सोशल मीडिया मंचों और एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टैलीग्राम जैसे मैसेजिंग एप के जरिए कम उम्र के युवाओं को बहकाने का प्रयास कर रहे हैं। पकड़े जाने से बचने के लिए वे फर्जी प्रोफाइल और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वी.पी.एन.) का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार पहचान हो जाने के बाद इन युवकों को निजी समूहों में शामिल कर लिया जाता है, जहां उन्हें सुरक्षाबलों द्वारा कथित रूप से किए गए अत्याचारों से जुड़े वीडियो समेत बरगलाने वाली चीजें दिखाई जाती हैं।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आई.एस.आई.) से जुड़े हैंडलर नफरत भड़काने और भर्ती के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए यह रणनीति अपनाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि एक नई चिंता यह पैदा हुई है कि इन समूहों में भर्ती होने वाले संभावित लोगों को अब सैयद कुतुब नामक मिस्र के चरमपंथी से जुड़ा साहित्य पढ़ाया जा रहा है, जिसकी विचारधारा ने अल-कायदा समेत विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों को काफी प्रभावित किया है। साल 1966 में फांसी पर लटकाए गए कुतुब ने धर्मनिरपेक्ष सरकारों और पश्चिमी देशों के प्रभाव के खिलाफ जिहाद की वकालत की थी।

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अधिकारियों ने बताया कि पहले आतंकवाद समर्थक नए लोगों की भर्ती के लिए प्रत्यक्ष संपर्क पर निर्भर रहते थे, लेकिन जैसे-जैसे सुरक्षा एजैंसियों ने ऐसे नैटवर्कों को ध्वस्त करने के प्रयास तेज किए हैं, उनके तरीके भी बदल गए हैं। नए भर्ती हुए लोगों को क्षेत्र में काम सौंपे जाने से पहले यूट्यूब समेत विभिन्न डिजिटल माध्यमों से प्रशिक्षण दिया जाता है। अधिकारियों ने विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में सोशल मीडिया के माध्यम से भर्ती और विचारधारा को बढ़ावा देने संबंधी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। इन खतरों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजैंसियों ने सोशल मीडिया निगरानी इकाइयां स्थापित की हैं जो संदिग्ध लोगों पर नजर रखकर कार्रवाई करती हैं।

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Content Writer

Sunita sarangal

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