Jammu Kashmir के इन पुलिस अधिकारियों को सम्मानित करने की उठी मांग, पढ़ें...
Tuesday, Jun 10, 2025-09:15 PM (IST)

पुंछ (धनुज शर्मा) : भारत-पाक युद्ध के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों को सेवा करने पुलिस अधिकारियों को सम्मानित करने की मांग उठ रही है। पिछले महीने भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ किए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद पाकिस्तान ने बौखलाकर युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध में सबसे ज्यादा तबाही पुंछ जिले में हुई। पाकिस्तानी सेना ने कायरता दिखाते हुए पुंछ के रिहायशी इलाकों को मोर्टार और भारी तोपों से निशाना बनाया, जिसमें 16 लोगों की जान चली गई, कई दर्जन लोग घायल हुए और सैकड़ों घर व दुकानें तबाह हो गईं।
इस मुश्किल घड़ी में पुंछ पुलिस के जांबाज अधिकारियों ने बिना अपनी जान की चिंता किए लोगों की मदद की और जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोहन शर्मा, पुलिस अधीक्षक हेडक्वार्टर नीरज शर्मा और थानाध्यक्ष मोहम्मद राशिद ने युद्ध के दौरान लगातार लोगों को अस्पताल पहुंचाया और गोलाबारी में फंसे लोगों को सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतना भयानक मंजर देखा, जब हर तरफ धमाके और धुआं था। लोग दहशत में थे, मौत सिर पर मंडरा रही थी। ऐसे वक्त में पुलिस के ये अधिकारी देवदूत बनकर सामने आए। जब पूरे नगर आस पास के क्षेत्रों में पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण धमाके एवम धुंआ धुंआ था। थोड़ी थोड़ी देर बाद समाचार प्राप्त हो रहे थे। सर पर मौत मंडरा रही थी हर कोई अपनी जान की हिफाजत के प्रयासों में था ओर भगवान से जीवन की कामना कर रहा था। उस समय ये तीनों पुलिस अधिकारी अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा तथा सुरक्षा में अपनी जान झोंक रहे थे।
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि उसके घर में पाकिस्तानी गोले से आग लग गई। जब उसने एएसपी मोहन शर्मा को कॉल की, तो वह खुद फायर ब्रिगेड की गाड़ी लेकर पहुंचे और आग बुझा दी। काजी मोड़ा के निवासियों ने बताया कि उनके इलाके में भी गोलाबारी से भारी नुकसान हुआ और कई लोग घायल हुए। पुलिस ने बिना वक्त गंवाए घायलों को अस्पताल पहुंचाया, जिससे कई जानें बच सकीं। शहर के बाहर से पढ़ाई करने आए 2 छात्रों ने बताया कि 7-8 मई की सुबह वो कभी नहीं भूल सकते। जब गोलाबारी तेज हुई तो पुलिस अधिकारी नीरज शर्मा ने उन्हें देखा और अपने वाहन में सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
सुरन्कोट की एक महिला ने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ पुंछ में रह रही थी। अचानक तेज गोलाबारी शुरू हो गई और खाना तक नहीं बन पाया। जब थाना प्रभारी मोहम्मद राशिद को जानकारी मिली तो उन्होंने गाड़ी का इंतजाम किया और बच्चों के खाने के लिए बिस्कुट-चिप्स भी दिए। स्थानीय लोगों ने पुंछ पुलिस की इस बहादुरी और सेवा की सराहना करते हुए सरकार से मांग की है कि इन अधिकारियों को सम्मानित किया जाए। उनका कहना है कि पुंछ पुलिस ने युद्ध जैसे हालात में जो कार्य किया, वह दिल से सलाम करने लायक है।
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