Chenab Bridge : कौन हैं Prof. Madhavi Lata ?... 17 साल की मेहनत लाई रंग, इस यूनिवर्सिटी से ली थी इंजीनियरिंग की डिग्री

Sunday, Jun 08, 2025-01:55 PM (IST)

जम्मू डेस्क : जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित चिनाब नदी पर बना आर्क रेल पुल इंजीनियरिंग का कमाल है। यह भारत की उन्नत प्रौद्योगिकी, निर्माण क्षमता और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक बन गया है। यह पुल विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुलों में से एक है, जिसकी ऊंचाई प्रसिद्ध एफिल टॉवर और कुतुब मीनार से भी अधिक है। यह देश की तकनीकी प्रगति और संकल्पशक्ति का प्रतीक है। इस पुल का निर्माण न केवल अत्यंत दुर्गम भूभाग में किया गया है, बल्कि इसमें विश्वस्तरीय इंजीनियरिंग तकनीकों, आधुनिकतम यंत्रों और नवाचारों का भरपूर उपयोग हुआ है। इस पुल के बनने से केवल यातायात और पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिलेगा, बल्कि इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की आवाजाही भी तीव्र और सुलभ हो सकेगी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।

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प्रोफेसर जी माधवी लता का चिनाब पुल के लिए योगदान

 इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में जिन लोगों ने अहम भूमिका निभाई है, उनमें भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू की प्रोफेसर माधवी लता का नाम प्रमुख है। माधवी लता ही चिनाब पुल प्रोजेक्ट की भू-तकनीकी सलाहकार थीं और उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर 17 साल काम किया। वे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में प्रोफेसर हैं और पिछले 17 साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। उन्होंने निर्माण कंपनी Afcons के साथ मिलकर पुल की योजना, डिजाइन और निर्माण में तकनीकी मदद दी।

यह इलाका बहुत मुश्किल था क्योंकि यहां की जमीन टूटी-फूटी चट्टानों और छिपे हुए गड्ढों से भरी थी। ऐसे में काम करना आसान नहीं था।

“Design-As-You-Go” तरीका

प्रो. माधवी लता और उनकी टीम ने “Design-As-You-Go” नामक तरीका अपनाया। इसका मतलब है कि ज़मीन की असली स्थिति सामने आने पर डिजाइन में बदलाव किए गए। यह तरीका खास तब काम आता है जब पहले की गई सर्वे रिपोर्टें ज़मीन की सही स्थिति नहीं दिखातीं।

उन्होंने पुल की मजबूती के लिए रॉक एंकरिंग जैसे तकनीकी उपाय किए और डिजाइन में कई बदलाव किए ताकि पुल सुरक्षित और मजबूत बने।

प्रो. माधवी लता कौन हैं?

शिक्षा:

B.Tech (सिविल इंजीनियरिंग) – जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (1992) – फर्स्ट क्लास के साथ

M.Tech – NIT वारंगल – गोल्ड मेडल के साथ

PhD – IIT मद्रास (2000) – जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में

पुरस्कार:

2021: भारतीय जियोटेक्निकल सोसाइटी का "सर्वश्रेष्ठ महिला शोधकर्ता" पुरस्कार

2022: भारत की टॉप 75 महिला STEAM नेताओं में शामिल

उन्होंने “Design as You Go: The Case Study of Chenab Railway Bridge” नाम से रिसर्च पेपर भी लिखा है।

चिनाब पुल की खासियत

यह पुल 1315 मीटर लंबा है, लेकिन इसे बनाना बहुत ही मुश्किल और समय लेने वाला काम था। इस पुल को बनाने में 22 साल लगे हैं। चिनाब रेल पुल नदी के तल से 359 मीटर ऊंचा है। यह ऊंचाई पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा है इस तरह यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है।

इस पुल को खास तरह से डिजाइन किया गया है ताकि वह तेज हवा और भूकंप को भी सह सकता है। चिनाब पुल को स्टील से बनाया गया है। इस तरह का स्टील बहुत मजबूत होता है और इसे खास तौर पर खराब मौसम, भूकंप और तेज हवा को सहन करने के लिए तैयार किया जाता है।  यह पुल बहुत ऊंचाई पर बना है और उसके नीचे तेज बहाव वाली चिनाब नदी बहती है। 

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Content Editor

Neetu Bala

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