क्या आप ने Enjoy किया है कश्मीर का ये Best 'Street Food', पेट भर जाएगा पर नहीं भरेगा मन

Saturday, Jan 11, 2025-02:38 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर ( मीर आफताब ) : मसाला रोटी, जिसे कश्मीरी में (मसाला चोट) कहा जाता है। इस मसालेदार रोटी के स्वाद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।  यह मसालेदार रोटी बेचने वाले लोग कश्मीर के हर इलाके में, विशेषकर स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों के बाहर और विभिन्न बाजारों में देखे जा सकते हैं।

अब्दुल रहमान गनई मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में लंबे समय से अपनी स्वादिष्ट मसाला रोटी बेच रहे हैं।  मसाला रोटी एक पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन है जो लंबे समय से कश्मीरी व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस मसाला रोटी के लिए सबसे पहले लवासा की आवश्यकता होती है, जिसे कश्मीरी बेकर्स सुबह-सुबह तंदूर पर तैयार करते हैं और यह लवासा ब्रेड के समान है और आटे से बनाया जाता है। मसाला रोटी बेचने वाले अब्दुल रहमान गनई ने कई साल पहले गांदरबल में मसाला रोटी (मसाला चोट) बेचना शुरू किया था। वह सुबह जल्दी उठते हैं और सबसे पहले बेकर के पास जाते हैं, जिसे कश्मीरी में कांदुर कहते हैं। वहां से वह लवासा लाते हैं और उन्हें गर्म कपड़े से ढक देता है।

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इसके बाद रातभर पानी में भिगोए गए छोले को विभिन्न मसालों के साथ मिलाकर मसाला बनाया जाता है, जबकि इससे विभिन्न प्रकार की चटनी भी बनाई जाती है। और सुबह-सुबह ही इस व्यवसाय से जुड़े लोग अपने घरों से निकलकर साइकिल या स्कूटर पर छाता लगाकर कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के बाहर इसे बेचने निकल पड़ते हैं। इस मसाला चोट की कीमत आधे लवासे के लिए दस रुपए है, जबकि अगर इसे चटनी और मसालों के साथ पूरे लवासे पर लगाया जाए तो इसकी कीमत बीस रुपए है। इसे कश्मीरी लोग ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोग भी खूब पसंद करते हैं वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि, एक तो यह सस्ता है और दूसरे, इसका उपयोग नाश्ते के रूप में या दोपहर के भोजन के विकल्प के रूप में भी किया जाता है।

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इस मसाला चोट में प्रयुक्त चने स्वास्थ्य बनाए रखने और निरंतर ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं। कुछ लोग इसे बनाने में सूखे मटर का भी इस्तेमाल करते हैं। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला लवासा आमतौर पर पूरे गेहूं के आटे से बनाया जाता है, जो कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अच्छा स्रोत है।

 अब्दुल रहमान गनई इस व्यवसाय के बारे में बताते हैं कि वे पिछले बीस सालों से मसाला चोट बेच रहे हैं। वे कहते हैं कि इसमें बहुत मेहनत लगती है और मसालों के साथ-साथ सब्जियां, सूखे मटर और लवासा का भी इस्तेमाल होता है। महंगाई के कारण अब मुनाफा तो बहुत कम है, लेकिन घर चलाने के लिए काम तो करना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि मैं पढ़े-लिखे नौजवानों से निवेदन करता हूं कि वे किसी भी काम को करने में शर्म महसूस न करें। काम आपके हाथ में है, जब चाहें, जैसे चाहें, जो चाहें कर सकते हैं। आप उसे करके अपनी आजीविका चला सकते हैं।

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Content Editor

Neetu Bala

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