Students में तेजी से बढ़ रही यह खतरनाक बीमारी, मां-बाप जरूर पढ़ें ये खबर
Wednesday, Mar 19, 2025-06:37 PM (IST)

जम्मू : लगभग सभी बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं और ऐसे में परीक्षा को लेकर बच्चों में एंज्जायटी यानि चिंता बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन कई बच्चों को एंज्जायटी इतनी बढ़ रही है कि उन्हें मनोचिकित्सक विशेषज्ञ तक उपचार के लिए जाना पड़ रहा है। जम्मू में ऐसे कई मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। परीक्षा की चिंता एक ऐसी स्थिति है जो सभी उम्र के छात्रों को प्रभावित कर सकती है। यह स्कूल, कालेज और उससे जुड़ी गतिविधियों, जैसे दोस्त बनाना, सार्वजनिक रूप से बोलना या परीक्षा देना, के अत्यधिक डर के रूप में प्रकट होता है। अक्सर पाया जाता है कि लगभग हर युवा परीक्षा के दौरान चिंतित या तनावग्रस्त महसूस करता है। चिंतित होने का मतलब है कि व्यक्ति थका हुआ या पसीना महसूस कर सकता है, भ्रमित, चिंतित, एकाग्रता की कमी महसूस कर सकता है और सोचता है कि वह परीक्षा के दौरान अच्छा नहीं कर पाएगा। यह सामान्य है क्योंकि लोग पाठ्यक्रम को संशोधित करने, जानकारी पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने जैसे अतिरिक्त प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। लेकिन जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक तनाव या दबाव या चिंता लेता है, तो इससे बदतर स्थिति हो सकती है।
परीक्षा की चिंता
जब किसी परीक्षा में अच्छा करने का दबाव होता है या जब युवाओं को परीक्षा देने से पहले बहुत ज्यादा डर या चिंता होती है, तो इसे टेस्ट एंग्जायटी या परीक्षा एंग्जायटी कहते हैं। टेस्ट या परीक्षा एंग्जायटी एक तरह की परफॉरमेंस एंग्जायटी है, जिसमें व्यक्ति के साथ कोई ऐसी घटना हो सकती है, जिसमें परफॉरमेंस बहुत मायने रखती है। टेस्ट एंग्जायटी से सिर दर्द, पेट दर्द या कोई और मानसिक दर्द हो सकता है। कुछ छात्रों को ऐसा लग सकता है कि परीक्षा के समय उनका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा है या उन्हें पसीना आ रहा है। जैसे-जैसे छात्र सीनियर क्लास में जाते हैं, उनमें अच्छे अंक लाने की चाहत बढ़ती जाती है और इस बोझ के कारण एंग्जायटी का स्तर भी बढ़ता जाता है। 10वीं, 11वीं, 12वीं कक्षा के छात्रों को घबराहट, डर, तनाव महसूस होता है, क्योंकि प्रतिस्पर्धा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। परीक्षा की चिंता छात्रों के सामाजिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विकास को भी प्रभावित करती है।
ये भी पढ़ेंः Google Pay व Paytm करने वालों की बढ़ सकती है परेशानी, 1 अप्रैल से पहले कर लें ये काम
बच्चों में एंज्जायटी के लक्षण
1. नींद में गड़बड़ी
2. मांसपेशियों में लगातार तनाव
3. अत्यधिक संवेदनशीलता
4. ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
5. निर्णय लेने में कठिनाई
6. अत्यधिक पसीना आना
7. कांपना व तेज दिल की धड़कन,
8. बेहोशी और मतली
9. पैनिक अटैक
ये भी पढ़ेंः Samba में बजी खतरे की घंटी, पूरा इलाका सील
बच्चों में एंज्जायटी के मामलों में वृद्धि : मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक डॉ. जगदीश थापा ने कहा कि परीक्षाओं के दौरान बच्चे अधिक तनाव में होते हैं। ये तनाव अच्छे अंक लेने के लिए भी हो सकता है और अभिभावकों व शिक्षकों की उम्मीद पर खरा उतरने के लिए भी होता है।
मां-बाप इन बातों का रखें ख्याल
कई अभिभावक बच्चों पर अच्छे अंक लाने का बहुत ज्यादा प्रैशर डालते हैं। इससे भी बच्चा एंज्जायटी का शिकार हो जाता है। एंज्जायटी से बचने के लिए बच्चे उसी दिन से पढ़ाई शुरू करें जिस दिन शिक्षक पहली बार कहे कि परीक्षा होगी। इस तरह आप आखिरी समय में रटने की जरूरत नहीं महसूस करेंगे। पढ़ाई का समय तय करें। आराम करने के लिए सांस लेने के व्यायाम आजमाएं। खुद को याद दिलाएं कि आपको हर परीक्षा में सही अंक लाने की जरूरत नहीं है। हर कोई गलती करता है। स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें, नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम करें। परीक्षा के समय पर्याप्त नींद, व्यायाम और स्वस्थ भोजन लेना जारी रखें। ऐसे पदार्थों से बचें जो चिंता बढ़ाते हैं। परीक्षा लिखने की तैयारी करें। परीक्षा से एक रात पहले जितना संभव हो उतना आराम करें। चिंतित लोगों से मिलने से बचने के लिए परीक्षा कक्ष में कुछ मिनट पहले ही जाएं। वहीं अभिभावकों को भी परीक्षा के दौरान अपने बच्चे पर नजर रखने की जरूरत है। अभिभावक देखें कि बच्चा टाइम से सो या खा रहा है। अभिभावक बच्चे की व्यवहारिक गतिविधियों पर भी नजर रखें और अगर बच्चे ज्यादा परेशानी हो तो मनो चिकित्सक को अवश्य दिखाएं या मनो चिकित्सक से काउंसलिंग अवश्य लें।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here