महबूबा मुफ्ती के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर बड़ी Update, पढ़ें पूरी खबर

Thursday, Aug 29, 2024-12:54 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर: पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनका कहना था कि यदि वह मुख्यमंत्री बन भी जाएं तो भी वह केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पार्टी के एजैंडे को पूरा नहीं कर पाएंगी, जिसके मद्देनजर उन्होंने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है।

महबूबा ने कहा कि वह भाजपा के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री रही हैं जिसने वर्ष 2016 में 12000 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को वापस ले लिया था। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या अब वे ऐसा कर सकती हैं? उनका कहना था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था। क्या हम आज ऐसा कर सकते हैं?

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पूर्व मुख्यमंत्री का यह भी कहना था कि उन्होंने जमीनी स्तर पर संघर्ष विराम लागू करवाया था तथा क्या आज ऐसा कर पाना संभव है? पी.डी.पी. प्रमुख ने कहा कि यदि आप एक मुख्यमंत्री के रूप में एक प्राथमिकी को वापस नहीं ले सकते हैं, तो कोई ऐसे पद का क्या कर सकता है?

उनके प्रतिद्वंद्वी एवं नेकां उपप्रधान उमर अब्दुल्ला द्वारा पूर्व में जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेने के अपने निर्णय से पलटकर चुनाव लड़ने संबंधी प्रश्न के उत्तर में महबूबा ने कहा कि उमर स्वयं इस बात को कह चुके हैं कि एक चपरासी के तबादले के लिए उन्हें उप-राज्यपाल के दरवाजे पर जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें चपरासी के तबादले की चिंता नहीं है परंतु क्या वह अपना एजैंडा लागू कर सकती हैं?

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उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक विधानसभा चुनावों में हिस्सा न लेने का प्रण करने वाले उमर अब्दुल्ला का नाम मंगलवार को नेकां द्वारा नामित 32 उम्मीदवारों में शामिल था। उमर गांदरबल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे जहां से उन्होंने वर्ष 2008 में जीत हासिल की थी।

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वहीं नेकां एवं कांग्रेस के बीच गठबंधन पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दोनों पार्टियां हमेशा सत्ता के लिए एक साथ आती हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में जब पी.डी.पी. ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था तो उसके पास एक एजैंडा था। उन्होंने उस दौरान सैयद अली शाह गिलानी को जेल से रिहा किया, क्या आज ऐसा करने के बारे में सोचा भी जा सकता है?

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में जब पी.डी.पी. ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था तो गठबंधन के तहत अनुच्छेद 370 को न छुए जाने, सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाए जाने, पाकिस्तान व हुर्रियत से बातचीत किए जाने एवं बिजली परियोजनाओं की वापसी वगैरा एजैंडे को लिखित में रखा गया था।

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उन्होंने कहा कि हालांकि जब कांग्रेस एवं नेकां गठबंधन करते हैं तो वह केवल सत्ता के लिए होता है। बारामूला लोकसभा सांसद रशीद इंजीनियर एवं अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को चुनावों से पहले जेल से रिहा किए जाने की संभावना पर उनका कहना था कि यह एक अच्छी बात होगी।

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उन्होंने सरकार से उन लोगों को भी रिहा करने पर विचार करने का आग्रह किया जो जमानत के हकदार हैं लेकिन उन्हें इससे वंचित रखा गया है। महबूबा का कहना था कि किसी व्यक्ति को जेल में डाला जा सकता है परंतु उसके विचारों को कैद नहीं किया जा सकता। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पी.डी.पी. एक बड़े मुद्दे के लिए लड़ रही है जो सत्ता में आने के बाद अपने एजैंडे को लागू करने वाली एकमात्र पार्टी है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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