रास्तों के निशान बता रहे कठुआ मुठभेड़ की कहानी, सैनिकों की बहादुरी के सुना रहे किस्से

Wednesday, Jul 10, 2024-10:40 AM (IST)

कठुआ: सेना के गश्ती दल पर घात लगाकर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले के एक दिन बाद मंगलवार को पेड़ों और पहाड़ी से घिरी सड़क पर खून के धब्बे, बिखरे हुए हैलमेट, गोलियों के खोखे, चकनाचूर शीशे और पंक्चर टायर वाले वाहन घटना की भयानकता तो बयां कर रहे हैं, साथ ही जवानों द्वारा बहादुरी से किए गए मुकाबले और घंटों चली मुठभेड़ की भी गवाही दे रहे हैं।

कश्मीर घाटी की तुलना में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के लिए अधिकारियों ने आतंकियों के पाकिस्तानी आकाओं को जिम्मेदार ठहराया है जो क्षेत्र में आंतकवाद को फिर से भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारियों ने घटना को याद करते हुए बताया कि सैनिकों ने हताहत होने के बावजूद साहस और दृढ़ता का परिचय दिया तथा कई घंटों तक आतंकवादियों का मुकाबला किया। उन्होंने बताया कि माना जा रहा है कि तीन आतंकवादियों के समूह ने इस हमले को अंजाम दिया था।

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आतंकवादियों ने सैनिकों पर अचानक हमले के लिए संभवत: पहाड़ी पर फैले घने जंगल की आड़ ली थी, जिसके बाद सैनिकों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और तब तक लड़ते रहे जब तक आतंकवादी घने जंगल में भाग नहीं गए। अधिकारियों ने बताया कि सेना के विशिष्ट पैरा-कमांडो और खोजी कुत्ते तलाशी अभियान में शामिल हैं जबकि ड्रोन और हैलीकॉप्टर की मदद से आसमान से नजर रखी जा रही है।

एक दिन पहले हुई हिंसा का स्पष्ट संकेत देते हुए दोनों वाहन एक-दूसरे से लगभग 300 मीटर की दूरी पर खड़े थे। अधिकारियों ने सड़क की स्थिति को देखते हुए बताया कि वे शायद बहुत अधिक गति से नहीं जा रहे थे और मुड़ते समय गोलीबारी की चपेट में आ गए। अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों ने भी अभियान में अहम भूमिका निभाई और हताहतों के बचाव में मदद की।


Content Writer

Sunita sarangal

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