NIA की जांच में खुलासे: आतंकियों ने अन्य पर्यटन स्थलों की भी की थी रेकी
Saturday, May 03, 2025-10:00 AM (IST)

जम्मू/श्रीनगर : पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादी अभी भी दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार अपने साथ अपेक्षित मात्रा में खाद्य सामग्री रखने के चलते ये आतंकवादी ‘आत्मनिर्भर’ हैं। शायद इसी वजह से घने जंगलों में छिपे होने के कारण वे अब तक सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ने से बचते आ रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि प्रारंभिक जांच से इस बात के संकेत मिले हैं कि आतंकवादी कम से कम 48 घंटे तक पहलगाम की बैसरन घाटी में मौजूद थे तथा 22 अप्रैल को 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर फरार होने के उपरांत सेना एवं स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही व्यापक तलाशी से बच रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) द्वारा पहलगाम आतंकी हमले की जांच को अपने हाथ में लेने के बाद कई ओवर ग्राऊंड वर्करों (ओ.जी.डब्ल्यू.) एवं आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले लोगों से गहन पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि हमले के लिए आतंकवादियों ने 4 अन्य पर्यटन स्थलों की भी रेकी की थी जिनमें अरू एवं बेताब घाटियां भी शामिल थीं। अन्य सभी स्थलों पर कड़े सुरक्षा प्रबंध होने के चलते आतंकियों ने बैसरन घाटी को चुना। वहीं सूत्रों ने बताया कि इस दौरान आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए संचार उपकरणों में सिम कार्ड की जरूरत नहीं थी जो कम दूरी के एक्रिप्टेड ट्रांसमिशन में सक्षम थे जिसके चलते इन्हें इंटरसैप्ट करना बहुत मुश्किल अथवा लगभग असंभव था।
सूत्रों ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवादियों को जंगल में युद्ध करने का प्रशिक्षण दिया गया है तथा इस क्षेत्र का ऊबड़-खाबड़ इलाका उनके लिए फायदेमंद रहा। उल्लेखनीय है कि जम्मू संभाग के कठुआ से लेकर दक्षिण कश्मीर तक फैले घने जंगलों में पेड़ों, झाड़ियों एवं जंगली घास के बीच कुछ क्षेत्रों में दृश्यता 10 मीटर से भी कम रह जाती है।
इस विषय पर बात करते हुए एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘गत 3 दशकों से भी अधिक समय से हम आतंकवाद से लड़ रहे हैं, यह असल में गुरिल्ला युद्ध है। हमने पिछले 2 वर्षों में देखा है कि इन आतंकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त है, वे अमरीका में बनी राइफलों से लैस हैं तथा उनके पास बुलेट-प्रूफ जैकेटें और स्टील की गोलियां हैं।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘उनके प्रशिक्षण एवं हथियारों को देखते हुए उनमें पाकिस्तानी सेना के नियमित जवान अथवा सेवानिवृत्त कमीशन अधिकारियों के शामिल होने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।’
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