एंटी करप्शन ब्यूरो का इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ा Action, कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
Saturday, May 31, 2025-08:48 PM (IST)

जम्मू : एंटी करप्शन कोर्ट ने जम्मू स्कूल शिक्षा विभाग पर कार्रवाई करते हुए स्कूलों के विज्ञान शिक्षा के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की है। विशेष न्यायाधीश, एंटी करप्शन कोर्ट, जम्मू ने आज वर्ष 2004-05 में स्कूल शिक्षा विभाग, जम्मू द्वारा की गई महंगे और घटिया गुणवत्ता के माइक्रोस्कोप की खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सभी पांच आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है।
यह मामला थाना सतर्कता संगठन (अब एंटी करप्शन ब्यूरो) जम्मू में दर्ज एफआईआर संख्या 10/2005 से संबंधित है। जांच के दौरान सामने आया कि तत्कालीन सरकारी अधिकारियों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत एक निजी सप्लायर के साथ मिलकर अपने पदों का दुरुपयोग किया। उन्होंने खनिजों के गुणों की जांच के लिए आवश्यक माइक्रोस्कोप के स्थान पर अनुचित प्रकार का डिसेक्शन माइक्रोस्कोप खरीदा, जो निविदा की शर्तों का सीधा उल्लंघन था। इस घोटाले से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ, जबकि आरोपियों और निजी सप्लायर को अनुचित लाभ मिला।
विशेष न्यायालय ने जिन पाँच आरोपियों को दोषी ठहराया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
- जतिंदर कुमार – तत्कालीन अकाउंट्स ऑफिसर, निदेशालय, स्कूल शिक्षा विभाग, जम्मू
- रमेश्वर कुमार शर्मा – तत्कालीन व्याख्याता, भूविज्ञान, SRML हायर सेकेंडरी स्कूल, जम्मू
- बलवान सिंह – तत्कालीन व्याख्याता, भूविज्ञान, SIE, जम्मू
- बलबीर सिंह जामवाल – तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी, उधमपुर
- जसविंदर सिंह मनोचा – प्रोप्राइटर, एम/एस कॉस्मोपोलिटन ट्रेडर्स, जम्मू
कोर्ट ने सभी आरोपियों को जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, संवत 2006 की धारा 5(1)(d) पढ़ी गई धारा 5(2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत दोषी करार दिया।
सज़ा के तौर पर सभी आरोपियों को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत 2 साल की साधारण कैद और षड्यंत्र की धारा के तहत 1 साल की साधारण कैद सुनाई गई है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। सरकारी कर्मचारियों (पहले चार आरोपी) पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया गया है। जबकि निजी व्यापारी जसविंदर सिंह मनोचा पर ₹1,00,000 का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में सभी को अतिरिक्त 3 महीने की साधारण कैद भुगतनी होगी।
यह फैसला भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के मामलों में अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।
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