परिवारवाद में सबसे आगे निकली यह पार्टी, 5 नेताओं के बेटे चुनावी मैदान में

Thursday, Aug 29, 2024-05:27 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर: राजनीतिक दलों में परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं और काफी हद तक यह सही भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा नेता जम्मू-कश्मीर में परिवारवाद की राजनीति को लेकर क्षेत्रीय दलों को आड़े हाथों लेते रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव भी परिवारवाद की काली छाया से अछूते नहीं हैं। परिवारवाद में नेशनल कांफ्रेंस सबसे आगे है जिसमें 5 बड़े नेताओं के बेटों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। हालांकि बिजबिहाड़ा से महबूबा ने अपनी बेटी इल्तजा को चुनावी मैदान में उतारा है जिन्हें कुछ दिन पहले इंचार्ज बनाया गया था।

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नेशनल कांफ्रेंस में परिवारवाद को लेकर पार्टी में विवाद उत्पन्न हो गया है परन्तु खुल कर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। हाल ही में जारी की गई उम्मीदवारों की सूची में कई नाम ऐसे उम्मीदवारों के हैं जिनमें बड़े नेताओं के बेटों को टिकट दिया गया है। हालांकि ये सभी पार्टी की सक्रिय गतिविधियों से जुड़े रहे हैं या युवा इकाई में सक्रिय रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार खानियार से उम्मीदवार वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर के बेटे सलमान अली सागर को हजरतबल से टिकट दी गई है। सांसद मियां अल्ताफ के बेटे मियां मेहर अली को कंगन, गुलाम कादिर परदेसी के बेटे अहसान परदेसी, मोहम्मद शफी उड़ी के बेटे डॉ. सज्जाद शफी उड़ी को उड़ी से, हिलाल अकबर लोन जो पूर्व सांसद मोहम्मद अकबर लोन के बेटे हैं, को टिकट दी गई है जो विवादित बयान में भी फंस चुके हैं।

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इसके अलावा कालाकोट से पूर्व विधायक स्वर्गीय रछपाल सिंह के बेटे यशु वर्धन सिंह को टिकट दी गई है। वह भी क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और क्षेत्र के मुद्दों को उठाते रहे हैं। उनका मुकाबला अपने चाचा ठाकुर रणधीर सिंह से है।

कांग्रेस में भी कुछ नेताओं ने अपने बेटे को टिकट देने की बात की थी और युवा होने के नाते जनता में स्वीकार्यता भी थी परन्तु नेकां-कांग्रेस के बीच गठबंधन के चलते टिकट नहीं मिली। अलबत्ता कुछ युवा उम्मीदवार निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं।

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भाजपा में पूर्व मंत्री रही प्रिया सेठी के पति युद्धवीर सेठी को जम्मू ईस्ट की टिकट दी गई है। हालांकि युद्धवीर सेठी युवा मोर्चा प्रधान एवं पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उन्हें 2014 में टिकट मिलना था परन्तु आंतरिक खींचतान के चलते टिकट राजेश गुप्ता को दे दी गई। पी.डी.पी. में अपने रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है और पार्टी में अपने करीबियों को प्रमुख पद दिए किए जाने के कारण अन्य नेता पार्टी छोड़ कर चले गए।

 


Content Writer

Sunita sarangal

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