जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: जीतने के लिए Voters को ऐसे रिझा रहे Candidates
Tuesday, Sep 03, 2024-02:38 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में 10 वर्ष बाद हो रहे विधानसभा चुनावों के पहले चरण में कश्मीर में चुनावी हवा गर्म है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना है वहां पर 219 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 91 निर्दलीय उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इन सीटों पर 18 सितम्बर को मतदान होना है और मतदाताओं को रिझाने के लिए उम्मीदवार तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं।
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कश्मीर में 3 प्रमुख महिलाएं चुनाव मैदान में हैं जिनमें डी.एच. पोरा से पूर्व मंत्री रही सकीना इत्तू मैदान में हैं जबकि महबूबा मुफ्ती की बेटी बिजबिहाड़ा से चुनाव लड़ रही हैं। इसी तरह नेकां ने हब्बाकदल से शमीमा फिरदौस को ही मैदान में उतारा है। कश्मीर के जिन विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण में चुनाव होना है वहां पर महिलाएं बुर्का पहने या दुपट्टा मुंह पर बांधे तालियां बजाते हुए पारंपरिक गीत गा कर चुनाव प्रचार कर रही हैं। उम्मीदवार अपने-अपने कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहे हैं। गीत ‘चालीस साल बेकार, चार साल बेमिसाल’ खूब चल रहा है।
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निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे इकबाल अहमद अंहगर पहले म्युनिसीपल कमेटी के चेयरमैन रहे हैं और अपने कामकाज का बखान कर रहे हैं। अब चुनाव मैदान में हैं और आगे सेवा का वादा कर रहे हैं। कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं और जिन सीटों को आरक्षित किया गया है या फिर परिसीमन के बाद बनाई गई हैं वहां पर अपनी ताल ठोक रहे हैं। कुछ पुराने उम्मीदवार भी हैं जो पहले पी.डी.पी. या नेकां के समय विधायक रहे और अब फिर चुनाव मैदान में हैं और अपने कार्यकाल के समय किए गए विकास कार्यों को गिना रहे हैं।
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कश्मीर में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस बार कोई आटॉनामी या सैल्फरूल का नारा नहीं दे रहा बल्कि अलग मुद्दे हैं। इन चुनावों में किसी अलगाववादी संगठन ने चुनाव बहिष्कार की काल नहीं दी है जबकि पहले किसी एक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव बहिष्कार का नारा दिया जाता रहा है। सबसे बड़ी बात है कि जमात-ए-इस्लामी 1987 के बाद मैदान में उतरी है। उस समय चुनावों में हुई कथित धांधली से खफा जमात-ए-इस्लामी ने चुनावों का बहिष्कार कर दिया परन्तु अब प्रतिबंध हटने के बाद चुनाव मैदान में है। पहले चुनावों में वह अपने प्रॉक्सी उम्मीदवार भी मैदान में उतारती रही है जो निर्दलीय विधायक बने।
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अपनी सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा अंतर्कलह से जूझ रही है। कई पुराने नेता बगावत कर चुके हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने के मूड में हैं। जम्मू संभाग के 4 जिलों सांबा, कठुआ, जम्मू और उधमपुर में 1 अक्तूबर को चुनाव होना है। ऐसे में रूठों को मनाना भाजपा की मजबूरी बन गई है।
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