भयंकर बीमारी की चपेट में Jammu... हैरान करने वाले आंकड़े आए सामने
Wednesday, Sep 24, 2025-06:53 PM (IST)

जम्मू : भयंकर बाढ़ के बाद जम्मू कश्मीर विशेषकर जम्मू संभाग डेंगू चपेट में आ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार उमस बढ़ने के साथ ही डेंगू का डंक भी बढ़ता है। बुखार होने पर स्वयं ही लोग डेंगू का टेस्ट करवा रहे हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 161 संदिग्धों की जांच की गई, जिसमें 35 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इन में 3 बच्चे, 22 पुरूष और 10 महिलाएं शामिल हैं। जम्मू कश्मीर में अब तक डेंगू पीड़ितों की संख्या 728 हो गई है जिसमें से सबसे अधिक 272 मामले जम्मू जिले से सामने आए हैं।
वर्ष 2024 में आज के दिन तक 11,713 संदिग्ध मामलों की जांच की गई थी जिनमें से 1,202 डेंगू के मामले पाजिटिव पाए गए थे। इस वर्ष अब तक 12,438 संदिग्धो की जांच की गई है जिनमें से 728 डेंगू मामलों की पुष्टि हुई है।
इस वर्ष भी सबसे अधिक मामले जम्मू और कठुआ से मामले सामने आए हैं। जम्मू जिला से 272 (शहर से 190), साम्बा से 76, कठुआ से 211, उधमपुर से 73, रियासी से 14, राजौरी से 33, पुंछ से 8, डोडा से 10, रामबन से 9, किश्तवाड़ से 1, कश्मीर संभाग से 10 और बाहरी राज्यों के लोगों में 11 डेंगू मामलों की पुष्टि हुई है। जम्मू संभाग के सभी जिले डेंगू से प्रभावित हैं।
डेंगू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ सहयोग करें : डॉ. रैणा
स्टेट मलेरियोलाजिस्ट डा. डी.जे. रैणा ने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम दोनों युद्धस्तर पर डेंगू के मच्छरों का नाश करने के लिए प्रयासरत है वहीं लोगों को भी स्वास्थ्य विभाग के साथ सहयोग करना होगा ताकि मच्छरों को अधिक न पनपने दें। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि लोग घर में और आसपास पानी जमा न होने दें। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले अभी तक डेंगू नियंत्रण में है। केवल 23 डेंगू रोगियों को ही अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है जिसमें से 14 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और 9 लोगों का उपचार जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले जम्मू शहर में दोगुने मामले सामने आ रहे हैं। विभाग सभी संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित रूप से फॉगिंग और स्पे कर रहे हैं।
लक्षण और संकेत
डा. डी.जे. रैणा ने कहा कि क्लासिकल डेंगू रोग में मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, सिर में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर पर चकत्ते, पेट में दर्द, मतली और उल्टी शामिल है। रक्तस्रावी बुखार में मसूड़ों/नाक से रक्तस्राव, त्वचा पर छोटे रक्तस्रावी धब्बे, पेट दर्द, उल्टी में खून, मल में खून (काला मल), निम्न रक्तचाप, सदमा इत्यादि लक्षण होते हैं और तीसरे रूप में डेंगू शॉक सिंड्रोम में ठंडे, चिपचिपे अंग, कमजोर नाड़ी, निम्न रक्तचाप, सदमा, बेहोशी लक्षण होते हैं। यदि समय पर और ठीक से इलाज न किया जाए तो मृत्यु भी हो सकती है।
रोकथाम
पानी के भंडार जैसे बर्तन, एयर कूलर, पौधों के गमले, ड्रम, फूलों के गमले और पक्षियों के स्नान के लिए रखे बर्तन आदि नियमित रूप से खाली करें। पुराने टायर, नारियल के खोल, डिस्पोजेबल गिलास और इस्तेमाल की हुई कोल्ड ड्रिंक की बोतलें आदि जैसी बेकार वस्तुओं को नष्ट कर दें। पानी की टंकियों और अन्य पानी के बर्तनों को ढक्कन से कसकर ढंककर रखें। मच्छर भगाने वाली क्रीम/मच्छर रोधी क्रीम का प्रयोग करें। घर से बाहर निकलते समय ऐसे कपड़े न पहनें जिनसे हाथ और पैर खुले हों। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छरों के प्रवेश को रोकने के लिए दरवाजों और खिड़कियों पर जालीदार जाल लगाएं। मच्छरों के काटने से बचने के लिए छत पर सोने से बचें।