J&K: इस इलाके पर मंडराया बाढ़ का खतरा, कई बेजुबानों की हुई मौत, जमीन कटने से किसान परेशान
Sunday, Aug 18, 2024-11:50 AM (IST)
पुंछ/सांबा (धनुज) : जम्मू संभाग के मैदानी इलाकों में शनिवार को हुई बारिश ने जहां आम जनता को गर्मी एवं उमस से राहत प्रदान की वहीं सांबा जिले के बसंतर में जलस्तर बढ़ने से किसानों की जमीनों पर कटाव का खतरा मंडराता रहा।
वहीं पुंछ में सूरनकोट तहसील के गांव फजलाबाद में बारिश से एक पशुशाला गिरने से 7 मवेशियों की मौत हो गई जिससे पशुपालक को लाखों का नुकसान हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरनकोट तहसील के गांव फजलाबाद की वार्ड नंबर 3 निवासी मोहम्मद शफी पुत्र अब्दुल्ला की पशुशाला शनिवार तड़के से हुई भारी बारिश की वजह से गिर गई, जिससे उसमें बंधे 7 मवेशियों की मलबे के नीचे दबने से मौत हो गई। मारे गए मवेशियों में दो भैंसे, 2 घोड़े, 2 बैल और एक गाय शामिल है। घटना के बाद आसपास के लोगों ने कड़े प्रयासों से मलबा हटाया, परन्तु तब तक सभी मवेशियों की मौत हो चुकी थी। पीड़ित व्यक्ति का कहना था कि मेरा गुजर-बसर इन्हीं पशुओं के सहारे था। आज मेरा सब कुछ खत्म हो गया। वहीं पीड़ित व्यक्ति के पड़ोसियों का कहना था कि हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि पीड़ित को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाए।
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बरसात के मौसम में बसंतर-देवक आदि नदियों में जलस्तर बढ़ने से जिले के सीमावर्ती रामगढ़ क्षेत्र के किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि बसंतर में बाढ़ के कारण जमीनों का कटाव हो रहा है जिसके फलस्वरूप उनकी खेती-बाड़ी पर खतरा मंडराने लगा है।
किसान नेता प्रेमपाल सिंह ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए उन्होंने बार-बार प्रशासन को आगाह किया है और पानी के कारण हो रहे नुक्सान के बारे में अवगत करवाया है लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की है।
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उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 से लेकर आज तक बाढ़ ने रामगढ़ इलाके के किसानों की तबाही की है। उन्होंने कहा कि 2011 के बाद 2014-15 में आई बाढ़ से तमाम जमीनें बर्बाद हो गई हैं।
किसानों ने बिना किसी सरकारी मदद के अपने खेतों की डिसिल्टिंग कर रेत को हटाया है और खेती के लिए तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि यह बेहद उपजाऊ इलाका था, जो बाढ़ से बर्बाद हो गया है लेकिन आज तक किसानों की किसी ने सुध नहीं ली है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रेफ ने नदी में ब्रेकर लगा दिए हैं और पानी का रास्ता रोक दिया। जिसके चलते बारिश का पानी बांध तोड़ खेतों में जा रहा है और 15-20 गांवों के किसानों को परेशानी हो रही है।
इसके साथ ही सेना के बंकरों और नर्सरी को नुक्सान पहुंच रहा है। किसानों का कहना है कि इस मामले को प्रशासन तक भी पहुंचाया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। किसानों ने कहा कि अगर जल्द से जल्द प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में किसान मजबूर होकर प्रदर्शन करेंगे।