इलाज के लिए तड़पती रही गर्भवती महिला, सड़क पर ही दे दिया बच्चे को जन्म
Sunday, Nov 17, 2024-06:49 PM (IST)
राजौरी ( शिवम बक्शी ) : राजौरी में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक गर्भवती महिला की सड़क पर ही डिलीवरी हो गई। बता दें कि राजौरी जिले के तेरयाठ स्थित राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर किया है, बल्कि प्रशासन की गंभीर लापरवाही पर भी सवाल उठाए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को हरि चुमा गांव की एक गर्भवती महिला कनीजा बेगम पत्नी मोहम्मद अल्ताफ, प्रसव पीड़ा के साथ तेरयाठ के सीएचसी पहुंची। वहां महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी के कारण उसे बेहतर इलाज के लिए सुंदरबनी के उप जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। हालांकि, अस्पताल से निकालते ही कुछ दूरी पर ही महिला ने सड़क पर बच्चे को जन्म दे दिया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें सरकारी एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई। मजबूरन, उन्होंने निजी कार का सहारा लेना पड़ा।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि तेरयाठ के इस स्वास्थ्य केंद्र में वर्षों से प्रसूतिशास्री डॉक्टर नहीं है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने इस मुद्दे को प्रशासन के समक्ष उठाया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. मनहोर लाल राणा ने कहा कि इस गंभीर घटना की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है। हमने कमेटी से जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मैं स्वयं तेरयाठ स्वास्थ्य केंद्र का दौरा करूंगा और घटना की जानकारी लूंगा अथवा अस्पताल में सुविधाओं की समीक्षा भी की जाएगी।"
यह घटना स्पष्ट रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को दर्शाती है। तेरयाठ जैसे बड़े क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति न होना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि, स्वास्थ्य केंद्र में जल्द से जल्द महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति की जाए। एम्बुलेंस सेवाओं में सुधार किया जाए।
यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी से लोगों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो।
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