क्या है Donald Trump का ‘पारस्परिक टैरिफ’... क्यूं सहम गए कश्मीर के सेब उत्पादक ? पढ़ें...

Thursday, Mar 13, 2025-12:58 PM (IST)

श्रीनगर/जम्मू : सेब के राष्ट्रीय उत्पादन में कश्मीर की 75 फीसदी हिस्सेदारी है। घाटी में आतंकवाद और प्राकृतिक दुर्योग के कारण कश्मीर के सेब उत्पादक हमेशा से परेशान रहे हैं। अब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल से लागू होने वाले ‘पारस्परिक टैरिफ’ की घोषणा ने कश्मीर घाटी के सेब उद्योग में हलचल मचा दी है। स्थानीय उत्पादकों को डर है कि सस्ते अमरीकी आयात से उनकी आजीविका खत्म हो सकती है।

7 लाख से अधिक परिवार निर्भर, डीलर्स यूनियन ने पी.एम. मोदी को लिखा पत्र

श्रीनगर, सोपोर और बारामुल्ला सहित 13 क्षेत्रों के उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाले कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स-कम-डीलर्स यूनियन (के.वी.एफ.जी.यू.) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आसन्न टैरिफ परिवर्तनों के खिलाफ सुरक्षा की मांग की है।

प्रधानमंत्री को लिखे एक विस्तृत पत्र में उत्पादन डीलर्स यूनियन ने लिखा कि बागवानी उद्योग जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जिस पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 7 लाख से अधिक परिवार निर्भर हैं। सस्ते वाशिंगटन सेबों के सम्भावित आगमन से घरेलू उत्पादों के बाजार में डिमांड कम हो जाएगी।

पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि क्षेत्र के फल उत्पादकों ने पहले ही राजनीतिक अशांति, गत 2014 वर्ष में कश्मीर विनाशकारी बाढ़ और अप्रत्याशित मौसम की घटनाओं सहित काफी कठिनाइयों का सामना किया है जिसने घाटी भर में बागों को नुकसान पहुंचाया है।

डीलर्स यूनियन ने विशेष रूप से केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री से अनुरोध किया है कि वे ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ पर बातचीत से बचें और इसके बजाय भारतीय बाजारों में प्रवेश करने वाले वाशिंगटन सेब पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने के लिए दबाव डालें। अपने पत्र में कहा कि न केवल कश्मीर के सेब उद्योग बल्कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सेब उद्योग की रक्षा के लिए सरकार के हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता है।

उन्होंने चेतावनी दी कि सुरक्षात्मक उपायों के बिना इन क्षेत्रों में लाखों छोटे और सीमांत उत्पादकों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने अगले महीने नए टैरिफ स्ट्रक्चर के प्रभावी होने से पहले उनकी चिंताओं पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया।

उद्योग विशेषज्ञों ने किया आगाह, सेब और अन्य फल उत्पादन में पड़ेगा असर

उद्योग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कम टैरिफ स्थानीय फल उत्पादन को तबाह कर सकते हैं और राज्य के खजाने को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं जबकि भारत दुनिया के सबसे बड़े सेब उत्पादकों में से एक है।

आयातित सेब ने पहले ही घरेलू उत्पादकों के लिए चुनौतीपूर्ण बाजार की स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि भारत सरकार ने ट्रम्प के इस दावे का खंडन किया है कि भारत टैरिफ कम करने पर सहमत हो गया है।

रिपोर्टों के अनुसार सोमवार को संसदीय स्थायी समिति के साथ बैठक में वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने स्पष्ट किया कि नई दिल्ली ने टैरिफ कम करने के लिए अमरीका से कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है और बातचीत अभी भी जारी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत नट्स जैसी कुछ वस्तुओं पर टैरिफ कम करने पर विचार कर सकता है लेकिन यह डेयरी उद्योग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करेगा। भारत ने बातचीत के लिए सितम्बर तक का समय मांगा है।

कश्मीर सेब उत्पादकों को केंद्र के फैसले का बेसब्री से इंतजार

जैसे-जैसे अप्रैल की समय सीमा करीब आ रही है, कश्मीर के सेब उत्पादक अधर में लटके हुए हैं। वे सरकारी हस्तक्षेप की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में से एक का भविष्य निर्धारित कर सकता है। डीलर्स यूनियन के अनुसार लगातार पिछले कुछ साल के घाटे के बाद इस साल कश्मीरी सेब उत्पादक भारी उत्पादन की उम्मीद कर रहे।

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Content Editor

Neetu Bala

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