सूझबूझ से सरकार चला रहे Omar Abdullah, इन मुद्दों पर दे रहे जोर

Tuesday, Nov 19, 2024-12:26 PM (IST)

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) सरकार अपने पहले महीने के कार्यकाल के दौरान आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने एवं बढ़ती बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करती दिखाई दे रही है। अभी तक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बड़ी ही राजनीतिक सूझबूझ और फूंक-फूंक कर कदम उठाए हैं। उमर नहीं चाहते कि उनकी किसी गलती से 2010 जैसे हालात का सामना करना पड़े। अब वह अपने पिता से सलाह लेकर भी काम कर रहे हैं।

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सरकार का गठन होते ही केंद्र शासित प्रदेश में बिजली की कमी को दूर करने के लिए 300 मैगावाट अतिरक्ति बिजली आपूर्ति के अलावा कई उपाय किए हैं। उल्लेखनीय है कि गत 16 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले उमर अब्दुल्ला वर्ष 2019 में विशेष दर्जा रद्द किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में बनी पहली निर्वाचित सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करते ही उमर ने पुलिस को उनके आवागमन के दौरान ग्रीन कॉरिडोर स्थापित करने से परहेज करने का निर्देश दिया। यह निर्णय अति विशिष्ट व्यक्ति (वी.आई.पी.) यातायात के कारण होने वाले व्यवधानों को कम करते हुए आम लोगों को होने वाली असुविधा के मद्देनजर लिया गया था।

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मुख्यमंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल के साथ की गई महत्वपूर्ण बैठक के नतीजे में केंद्र शासित प्रदेश को सामान्य दरों पर अतिरिक्त बिजली आपूर्ति संभव हो पाई जिससे ऐसी व्यवस्थाओं के साथ आमतौर पर लगने वाली उच्च आपातकालीन दरों को टाला जा सका। अतिरिक्त बिजली आपूर्ति से कश्मीर एवं जम्मू दोनों संभागों में जारी बिजली संकट के काफी हद तक नियंत्रित होने की उम्मीद है जहां क्रमश: सर्दियों और गर्मियों के दौरान मांग बढ़ जाती है।

सार्वजनिक सेवा में सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता के रूप में मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने वरिष्ठ अधिकारियों की एक समर्पित टीम के साथ नागरिक शिकायतों के निपटारे को सुव्यवस्थित करने के लिए श्रीनगर में अपने आधिकारिक आवास को एक सार्वजनिक निवारण और कल्याण कार्यालय में बदल दिया है।

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उन्होंने उत्तरदायी शासन मॉडल को मजबूत करते हुए निर्दिष्ट दिनों पर व्यक्तिगत रूप से जनता से जुड़ने का संकल्प लिया है। संयुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले ओपन मैरिट उम्मीदवारों की ऊपरी आयु सीमा को 30 वर्ष से बढ़ाकर 35 वर्ष कर दिए जाने के निर्देश ने भी बदलाव को औपचारिक रूप दिया है।

वहीं आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए ऊपरी आयु सीमा अब 37 वर्ष और शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए 38 वर्ष निर्धारित की गई है। नेकां ने सरकार बनाने के पहले 3 महीनों के भीतर जम्मू-कश्मीर युवा रोजगार सृजन अधिनियम को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई थी जिसका उद्देश्य युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करते हुए सरकारी विभागों में सभी रिक्तियों पर भर्ती को सुनिश्चित कर भविष्य में रोजगार सृजन के लिए एक ठोस नीति स्थापित करना है।

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की वित्तीय सेहत को बेहतर बनाने की रणनीतियों पर चर्चा की जिसमें केंद्रीय फंडिंग पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय राजस्व सृजन बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

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Content Writer

Sunita sarangal

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