टांगे से लेकर E-Bus तक, एक Click में पढ़ें जम्मू के Transport का सफर (PICS)
Monday, Oct 28, 2024-12:24 PM (IST)
जम्मू: जम्मू की परिवहन प्रणाली दशकों में बदलावों के कई दौर से गुजरी है। कभी शहर की सड़कों पर सिर्फ घोड़ा-गाड़ी और टांगे दौड़ते थे, तो आज यहां आधुनिक और सुविधा-युक्त इलैक्ट्रिक बसें व हजारों इलैक्ट्रिक ऑटो यात्री सेवा दे रही हैं। आइए जानते हैं कैसे जम्मू के परिवहन साधनों ने समय के साथ अपने रूप को बदला है।
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टांगा और घोड़ा-गाड़ी का दौर
आजादी के पहले के दौर में जम्मू में परिवहन का मुख्य साधन टांगा और घोड़ा-गाड़ी हुआ करता था। यह साधन खासकर पुराने शहर के भीतर यात्रियों को लाने और ले जाने के लिए उपयुक्त था। छोटे रास्तों पर टांगे आसानी से घूम सकते थे और ये उस समय की मांग के हिसाब से सबसे बेहतर साधन थे।
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1980 के दशक में जम्मू की सड़कों पर दौड़ी मैटाडोरें
1950 के दशक में मोटर गाड़ियों का प्रवेश हुआ, जिससे जम्मू की परिवहन प्रणाली में नया मोड़ आया। इस दौरान पहली बार बस सेवा शुरू हुई, जो जम्मू से कटड़ा और जम्मू से उधमपुर जैसे लंबे रूट पर चलती थी। वहीं कुछ वर्षों बाद सन 1970 और 1980 के दशक में जम्मू की सड़कों पर (मैटाडोर) और मिनी बसें देखने को मिलीं। नीले और लाल रंग की ये मैटाडोरें साधारण डिजाइन की होती थीं, जिनमें सीधी-सीधी लकड़ी की बेंचें होती थीं, जो आज की आरामदायक सीटों के मुकाबले काफी असहज थीं। जिसके बावजूद इन बसों ने यात्रियों को लंबे सफर में बहुत सहूलियत दी। छोटे आकार की इन मिनी बसों ने शहर के भीतर और आसपास के इलाकों में परिवहन की व्यवस्था को सुलभ बना दिया। हालांकि, उस दौर में सड़कों की हालत खराब थी और यह बसें डीजल इंजन पर चलती थीं, जिससे शहर में धुएं का प्रदूषण बढ़ता था।
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1970 में हुआ ऑटो-रिक्शा का आगमन
जम्मू में ऑटो-रिक्शा 1970 के दशक में आना शुरू हुए। छोटे और तेज चलने वाले ये ऑटो जम्मू के तंग और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में काफी सुविधाजनक साबित हुए। पुराने ऑटो-रिक्शा के इंजन आज के ई-ऑटो के मुकाबले काफी शोर करते थे, जो शहर में वाइस प्रदूषण बढ़ाते थे। आज भी विभिन्न क्षेत्रों में पुरानी बसें और ऑटो-रिक्शा सड़कों पर दिखते हैं।
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2000 का दशक; सड़कों पर उतरे इलैक्ट्रिक वाहन
2000 के दशक में जम्मू की परिवहन व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आया। सड़कों का आधुनिकीकरण हुआ और जम्मू में चलने वाली मैटाडोरों का संशोधित रूप आया, जिससे जम्मू में प्रदूषण का स्तर कम हुआ क्योंकि सन 1985 के दशक की मैटाडोरें जम्मू की खड़ी सड़कों पर चलते हुए भारी मात्रा में प्रदूषण फैलाती थी। इसके साथ ही ऑटो-रिक्शा के आधुनिक मॉडल (ई-रिक्शा/ई-ऑटो) भी चलन में आए, जो कम शोर करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं। वहीं आज के समय में जम्मू की सड़कों पर आधुनिक ए.सी. बसें, इलैक्ट्रिक बसें और उन्नत ऑटो-रिक्शा उपलब्ध हैं। ये नई बसें आरामदायक सीटों, ए.सी., डिजिटल टिकटिंग और जी.पी.एस. जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन अब मेट्रो जैसी सुविधाएं लाने पर भी विचार कर रहा है, ताकि यातायात व्यवस्था और ज्यादा सुविधाजनक और प्रभावी बनाई जा सके।
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