J&K Elections : मुद्दाविहीन हवेली विधानसभा चुनावों में हमेशा रहा है तहसील मंडी के प्रत्याशियों का दबदबा
Tuesday, Sep 17, 2024-05:59 PM (IST)
पुंछ(धनुज): 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर जहां नेताओं सहित वोटरों में उत्साह का माहौल है वहीं जिले की हवेली विधानसभा सीट पर दूसरे फेस में 25 सितम्बर को मतदान होने वाले हैं। इसे लेकर हर राजनीतिक दल एवं निर्दलीय उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए रात-रातभर दुर्गम क्षेत्रों में बैठकों सहित प्रचार-प्रसार जोरदार ढंग से किया जा रहा है। वहीं हवेली विधानसभा पर होने वाले चुनाव इस बार भी मुद्दाविहीन हैं। बड़े मुद्दे पर कोई भी चुनाव लड़ने की बजाय एक-दूसरे की नकल ज्यादा करता नजर आ रहा है। इसके चलते बड़े मुद्दे फिलहाल नदारद हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए उम्मीदवारों द्वारा अपनी-अपनी रणनीति पर कार्य किया जा रहा है और हर कोई अपने आप को बलशाली साबित करने में जुटा है।
यह भी पढ़ें : Section 370 और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को लेकर उमर ने गृह मंत्री अमित शाह को घेरा, कही यह बात
हवेली विधानसभा क्षेत्र में तहसील मंडी भी आती है और जहां से अच्छी-खासी संख्या में मतदाता हैं, जिनके द्वारा विधायक के चुनाव में अहम भूमिका निभाई जाती है और हमेशा ही मंडी तहसील का दबदबा हवेली विधानसभा पर रहा है जबकि अधिकतर विधायक भी मंडी तहसील से संपर्क रखते हैं और वहीं के रहने वाले हैं। इन सबके बावजूद मंडी के लोगों को हमेशा ही शिकायत रहती है कि उनके क्षेत्र में तरक्की एवं विकास का टोटा है। क्षेत्र की अधिकतर सड़कें जर्जर हालत में हैं। मंडी तहसील को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य सड़क जहां खस्ता हालत में है वहीं तहसील के अंदर संपर्क सड़कों का भी बुरा हाल है। क्षेत्र में कोई ऐसी बड़ी परियोजना नहीं है जो बड़े स्तर पर युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करे। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा तमाम सुविधाओं के लिए भी आम लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं मंडी तहसील में अनेक दार्शनिक स्थल हैं, जिन्हें विकसित कर पर्यटन के मानचित्र पर लाकर रोजगार के साधन पैदा किए जा सकते हैं, परंतु शायद स्थानीय नेताओं की नजर से यह सब कुछ ओझल है।
यह भी पढ़ें : Jammu Kashmir चुनावों की तैयारियां शुरू तो वहीं युवक ने कश्मीर का नाम किया रोशन, पढ़ें 5 बजे तक की 5 बड़ी खबरें
भाजपा, नैकां, अपनी पार्टी व पी.डी.पी. अपनी जीत का कर रहे दावा
वर्तमान परिदृश्य में भाजपा, नैकां, अपनी पार्टी व पी.डी.पी. खुद को नंबर 1 साबित कर अपनी जीत के दावे ठोक रही हैं। गौरतलब है कि भाजपा द्वारा ऐन मौके पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए चौधरी अब्दुल गनी पर विश्वास करते हुए अपने पुराने नेताओं को नजरअंदाज कर टिकट दी गई। वहीं कांग्रेस पार्टी एवं नैकां इस बार संयुक्त उम्मीदवार पर दाव खेल रही हैं, जिसमें पूर्व विधायक एजाज जान संयुक्त उम्मीदवार हैं। वहीं 2014 में पी.डी.पी. के विधायक रहे शाह मोहम्मद तांत्रे इस बार अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी के मैण्डेट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मंडी तहसील के युवा नेता शमीम गनेई को इस बार पी.डी.पी. द्वारा अपना प्रत्याशी बनाया गया है।
यह भी पढ़ें : इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का नारा देने वाली PDP खुद जम्हूरियत के जश्न से दूर क्यों?
आजाद उम्मीदवारों द्वारा खेल बिगाड़ने की पूरी संभावना
वहीं बड़े गुज्जर नेता चौधरी मकसूद अहमद ने इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकी है जबकि पुंछ के दिग्गज नेता एवं पूर्व एम.एल.सी. दिवंगत यशपाल शर्मा के पुत्र डॉ. उदेश्यपाल शर्मा भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। अपने पिता द्वारा बनाई गई जबरदस्त पकड़ के साथ ही उदेश्यपाल शर्मा युवा होने के साथ गरीबों की सेवा एवं हजारों लोगों को नि:शुल्क रक्तदान कर अपनी अलग पहचान बनाए हैं। ऐसे में इन चुनावों में सभी राजनीतिक दलों के सामने निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी चुनौती बन रहे हैं जबकि सब में जुबानी जंग चरम पर है जो चुनावी माहौल को और ज्यादा रोमांचक बनाती है।
यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: BJP की अंदरूनी कलह से पार्टी हाईकमान चिंतित
पुंछ नगर जिला अस्पताल बना रैफरल अस्पताल, लोगों में रोष व्याप्त
पुंछ नगर स्थित राजा सुखदेव सिंह जिला अस्पताल पुंछ जिले का एकमात्र एवं महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाला अस्पताल है जिस पर पूरे जिले का बोझ रहता है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण अक्सर यहां सड़क हादसों का सिलसिला लगा रहता है। वहीं भारत-पाकिस्तान के मध्य संघर्ष विराम की घोषणा से पूर्व अक्सर पाकिस्तानी गोलीबारी में घायल लोग भी उपचार हेतु इसी अस्पताल पर निर्भर रहते थे जबकि अस्पताल में बड़ी संख्या में बेहतरीन चिकित्सकों के खाली पद व बेहतर सुविधाओं की भारी कमी होने के कारण अस्पताल से लोगों को बेहतर इलाज हेतु राजौरी व जम्मू रैफर कर दिया जाता रहा है जिस कारण इस अस्पताल को रैफरल अस्पताल के नाम से भी जाना जाता है। पुंछ जिले में राजकीय मैडीकल कॉलेज न होना जिलेभर के लोगों पर जहां काफी भारी पड़ता है। वहीं कमजोर लीडरशिप की तरफ इशारा भी करता है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here