J&K: 'एक देश, एक चुनाव’ पर Omar Abdullah का बड़ा बयान
Saturday, Dec 14, 2024-04:10 PM (IST)
जम्मू : केंद्र सरकार की कैबिनेट की ओर से ‘एक देश एक चुनाव’संबंधी विधेयक को मंजूरी प्रदान किए जाने को लेकर जम्मू-कश्मीर में भी बहस छिड़ गई है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रस्ताव को संसद में लाए जाने पर खुली बहस होनी चाहिए। उधर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक जी.ए. मीर ने कहा कि यह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में संभव नहीं है। ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले इसे संसद में लाया जाना चाहिए और इस पर खुली बहस होनी चाहिए।
उन्होंने कहा-जिस प्रकार अनुच्छेद 370 को 2019 में हटाया गया, इस प्रस्ताव के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मात्र 1-2 घंटे की बहस के बाद अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन किया गया। अच्छा होता इसमें खुली बहस होती, परन्तु अब की बार ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद में प्रस्ताव लाए जाने के बाद नैशनल कांफ्रैंस अपने साथियों के साथ चर्चा करेगी और उसके बाद क्या निर्णय लेना है, इस बारे अपने सांसदों को कहेगी।
इसी तरह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (ए.आई.सी.सी.) के महासचिव और डूरू के विधायक गुलाम अहमद मीर ने भारत जैसे विशाल देश में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल को लागू करने की व्यवहार्यता पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि एक ही चरण में एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते। मीर ने कहा कि केवल कानून या आदेश पारित करने के बजाय व्यावहारिक योजना बनाने की जरूरत है। मीर ने कहा, "भारत एक विशाल देश है और यहां 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा कल्पना से परे है। हमें इस मुद्दे पर व्यावहारिकता के साथ विचार करने की जरूरत है।"
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उन्होंने कहा कि सांसद इस मामले पर अपना इनपुट देंगे और अगर आम सहमति बन जाती है तो कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि भारत लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है।
जी.ए. मीर ने कहा कि यह प्रस्ताव सत्ता में बैठे लोगों की ओर से आया है। अगर मैं कहूं कि 'चलो कल पंचायतों, सरपंचों, पार्षदों, विधायकों और सांसदों के चुनाव करवाते हैं' तो क्या यह संभव है? सबसे पहले, सत्तारूढ़ दल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे अपने शासन वाले राज्यों में एक बार में चुनाव कराने के लिए तैयार हैं।
मीर ने कहा, "अगर कल अविश्वास प्रस्ताव के कारण सरकार गिर जाती है या इस बीच निर्वाचित सदस्य मर जाते हैं तो स्थिरता की गारंटी कौन देगा? तब चुनाव कौन कराएगा? भारत एक लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत काम करता है, और ऐसी चुनौतियों पर विचार किया जाना चाहिए। यह कोई मामूली मुद्दा नहीं है।”
राजनीतिक विश्लेषक अजात जम्वाल के अनुसार ‘एक देश एक चुनाव’उन राज्यों के लिए कठिनाई भरे हैं जहां की भौगोलिक स्थित भिन्न है। पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी वाले क्षेत्रों में देश के अन्य राज्यों के साथ चुनाव नहीं करवाए जा सकते। इसके लिए वहां के मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रख कर चुनाव करवाने होंगे और इस बारे चुनाव आयोग को भी पहले जमीनी स्तर पर कार्रवाई करनी पड़ेगी। अभी पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी की ओर से इस बारे कोई बयान नहीं आया है।
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