J&K : गुरेज़ घाटी को लेकर ताज़ा एडवाइजरी जारी, घाटी के लोगों की बढ़ी मुश्किलें!

Tuesday, Jun 10, 2025-06:55 PM (IST)

बांदीपोरा (मीर अफताब): बांदीपोरा पुलिस ने एक ताज़ा एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों और पर्यटकों से अपील की है कि वे गुरेज़ घाटी की यात्रा से फिलहाल परहेज़ करें। यह सलाह अप्रैल 22 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लागू उस सरकारी पाबंदी की पुष्टि करती है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के करीब 50 पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद किया गया था। यह प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।

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ईद की छुट्टियों के दौरान बड़ी संख्या में लोग गुरेज़ की ओर रुख कर रहे थे, जिसे देखते हुए पुलिस ने खासतौर पर 85 किलोमीटर लंबे बांदीपोरा-गुरेज़ मार्ग पर यात्रा न करने की हिदायत दी है। साथ ही सुरक्षा और यात्रा से जुड़ी जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।

गुरेज़ घाटी की सीमाएं पाकिस्तान के साथ लगती हैं, और यही इसकी संवेदनशीलता की मुख्य वजह है। हालांकि, 2007 में जब यह घाटी पर्यटकों के लिए खोली गई, तो यह एक लोकप्रिय स्थल बन गया था। 2018 से लेकर 2025 की शुरुआत तक, दावर, तुलैल और कंज़लवान जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचने लगे।

स्थानीय लोगों ने पर्यटन पर लगी इस रोक से नाराज़गी जताई है। गुरेज़ होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष ग़ुलाम नबी लोन ने बताया कि दावर में इस समय 13 होटल चल रहे हैं और 9 और बन रहे हैं। करीब 40 होमस्टे और कई कैंप साइट्स चालू हैं। इस गर्मी में दावर में 1000 से ज़्यादा टेंट लगाए गए थे, जो जून के अंत तक पूरी तरह बुक थे।

स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि सरकार ने यह फैसला लेते समय किसी से सलाह नहीं ली। वसीम अहमद, एक स्थानीय कारोबारी ने कहा कि गुरेज़ पूरी तरह शांत और सुरक्षित रहा है। प्रशासन को हमसे बात करनी चाहिए थी। इतने सालों की मेहनत पर पानी फिर गया है।

इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (DPAP) के नेता और गुरेज़ क्षेत्र प्रभारी निसार अहमद लोन ने राज्य प्रशासन के साथ-साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं, खासकर विधायक नज़ीर अहमद खान और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सोशल मीडिया पर गुरेज़ के लिए ‘अच्छी खबर’ की बात कही थी। अब समझ आ रहा है कि वह अच्छी खबर दरअसल पर्यटन पर रोक थी। यह जनता के साथ धोखा है। लोन ने बताया कि कई स्थानीय लोगों ने होटल, होमस्टे और कैंप बनाने के लिए बैंक से लोन लिया था, जिसे वे गर्मियों की कमाई से चुकाना चाहते थे। उन्होंने कहा अब हमारे पास आमदनी का कोई जरिया नहीं बचा है।

उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की। “हम भारत के वफादार नागरिक हैं। हमने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। बस इतना चाहते हैं कि पर्यटकों को आने की इजाज़त मिले ताकि हमारी युवा पीढ़ी ईमानदारी से अपना पेट पाल सके।”

अब जब सर्दियों का मौसम करीब है और अक्टूबर में घाटी का रास्ता बंद हो जाता है, तो स्थानीय लोगों को आने वाले समय को लेकर गहरी चिंता सता रही है। पर्यटन उनके जीवन का आधार है, जो अब संकट में दिखाई दे रहा है।

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Content Editor

VANSH Sharma

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